scriptयहां लाखों की मशीने खा रही धूल, मरीजों के नहीं आ रही काम | helth news in ratlam | Patrika News

यहां लाखों की मशीने खा रही धूल, मरीजों के नहीं आ रही काम

locationरतलामPublished: Aug 24, 2019 05:30:34 pm

Submitted by:

Sourabh Pathak

यहां लाखों की मशीने खा रही धूल, मरीजों के नहीं आ रही काम

patrika

विदेश में पढ़े अपात्र डॉक्टरों को मेडिकल अफसर बनाने पर रेलीगेयर को नोटिस

रतलाम। जिला अस्पताल को अत्याधुनिक और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने के लिए अस्पताल प्रबंधन की मांग शासन ने यहां साधन-संसाधन तो उपलब्ध करा दिए है लेकिन कुछ नहीं दिया तो वह स्टाफ है। एेसे में बिना स्टाफ के लाखों रुपए खर्च कर खरीदी गई मशीने यहां धूल खाती नजर आ रही है। फिर वह चाहे मरीज को जिंदा रखने वाला वेंटीलेटर हो या फिर ब्लड सेप्रेटर मशीन। किसी भी मरीज को बचाने में सबसे अहम भूमिका वेंटीलेटर की होती है।
करीब एक वर्ष पूर्व जिला अस्पताल में इस कमी को भी पूरा कर दिया गया। यहां पर छह वेंटीलेटर है, जिनमें चार छोटे और दो बड़े लेकिन बात यदि इनकी उपयोगिता की करें तो वह नहीं हो पा रही है। इसके पीछे कारण इसे चलाने के लिए प्रशिक्षु स्टाफ की कमी होना है। अस्पताल प्रबंधन ने शासन को पत्र लिखकर स्टाफ की मांग भी की है लेकिन अब तक वह पूरी नहीं हो सकी है। एेसे में वेंटीलेटर का उपयोग फिलहाल की स्थिति में आईसीयू के बेड की तरह सामान्य रूप से हो रहा है। इमरजेंसी में कभी वेंटीलेटर चलता भी है तो वह कुछ समय के लिए उसके बाद मरीज को यहां से अन्य अस्पताल में शिफ्ट करना होता है।
एक का चार नहीं हो रहा खून
लगातार बढ़ते सड़क हादसों में घायल होकर जिला अस्पताल आने वाले घायलों और बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को हर रोज खून की जरूरत पड़ती है। एेसे में खून लेने वालों के मुकाबले देने वालों की संख्या बहुत कम है। किसी भी व्यक्ति से एक यूनिट लिए गए खून को चार बनाने का काम ब्लड सेपरेटर मशीन करती है, जो कि जिला अस्पताल को भी मिली है लेकिन उसे लगाने के लिए जगह के अभाव में वह आज तक बंद पड़ी है। लंबे समय से इसके लिए भवन निर्माण की प्रक्रिया कागजों से बाहर नहीं आ सकी है। जब तक भवन की आवश्यकता पूरी नहीं होती तब तक इसका लाइसेंस भी जारी नहीं हो सकेगा। भवन तैयार होने के बाद इसका लाइसेंस लेकर इसका उपयोग शुरू हो सकेगा, जिसका लाभ मरीज व उनके परिजनों को मिलेगा।
वारंटी भी हो रही खत्म
शासन ने लाखों रुपए खर्च करके जिला अस्पताल द्वारा चाही गई मशीनें और उपकरण तो उसे उपलब्ध करा दिए है लेकिन जब तक इन्हे चलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में स्टाफ नहीं आता है तब तक इनकी उपयोगिता शून्य ही रहेगी। इतना ही नहीं लाखों रुपए में खरीदी गई मशीनों को एक वर्ष से अधिक का समय भी बीत चुका है, एेसे में इनकी उपयोगिता के बगैर ही वारंटी भी खत्म हो रही है। अस्पताल में हालात ये है कि वर्तमान में यहां पैथोलॉजिस्ट का पद ही खाली पड़ा है, एेसे में जो मशीन व उपकरण चल रहे है, वह भी प्रभारियों के भरोसे चल रहे है।
इनका कहना है
स्टाफ की कमी बन रही बाधा
– जिला अस्पताल में चार छोटे और दो बडे़ वेंटीलेटर है लेकिन इन्हे चलाने के लिए २४ घंटे मौजूद रहने वाला स्टाफ नहीं है। प्रशिक्षु स्टाफ की कमी के चलते इनका ठीक से उपयोग नहीं हो पा रहा है। इमरजेंसी में कुछ समय के लिए हम इसका उपयोग करते है। वहीं अन्य मशीने भी है लेकिन उन्हे भी चलाने के लिए स्टाफ व स्थान की कमी के चलते उपयोग नहीं हो पा रहा है।
डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल, रतलाम
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो