निजी में जमा राशि
इधर क्षेत्र की निजी बैंक जिनमें एचडीएफसी, आईसीआईसीर्आइ के साथ और भी बैंक शामिल हैं, उन्होंने बैंकों में किसानों द्वारा जमा करवाई की फसल बीमा की प्रीमियम के बाद किसानों को खातों में फसल बीमा की राशि जमा करवा दी हैं। वहीं क्षेत्र की सरकारी बैंके जिनमें एसबीआई, सेन्ट्रल के साथ सहकारी बैंक जिनमें किसानों को केसीसी खाते हैं। उन किसानों के खातों में अब तक बीमा क्लेम की राशि जमा नहीं हो पाई है। इधर किसानों के खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसल खराब होने लगी हैं, लेकिन सरकार द्वारा फसल बीमा का पैसा नहीं दिया है, जिससे किसानों को अपनी खराब हो रही फसल पर दवा का छिड़काव करने के लिए मजबूर हो रही हैं।
इधर क्षेत्र की निजी बैंक जिनमें एचडीएफसी, आईसीआईसीर्आइ के साथ और भी बैंक शामिल हैं, उन्होंने बैंकों में किसानों द्वारा जमा करवाई की फसल बीमा की प्रीमियम के बाद किसानों को खातों में फसल बीमा की राशि जमा करवा दी हैं। वहीं क्षेत्र की सरकारी बैंके जिनमें एसबीआई, सेन्ट्रल के साथ सहकारी बैंक जिनमें किसानों को केसीसी खाते हैं। उन किसानों के खातों में अब तक बीमा क्लेम की राशि जमा नहीं हो पाई है। इधर किसानों के खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसल खराब होने लगी हैं, लेकिन सरकार द्वारा फसल बीमा का पैसा नहीं दिया है, जिससे किसानों को अपनी खराब हो रही फसल पर दवा का छिड़काव करने के लिए मजबूर हो रही हैं।
नहीं जमा हुई हैं राशि
किसानों के केसीसी खातों मे जिन किसानों के फसल बीमा क्लेम हैं, उनकी राशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई हैं। इस कारण किसानों के खातो में राशि जमा नहीं हो पाई हैं।
केके केथुनिया, प्रबंधक, सेन्ट्रल बैंक, जावरा
किसानों के केसीसी खातों मे जिन किसानों के फसल बीमा क्लेम हैं, उनकी राशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई हैं। इस कारण किसानों के खातो में राशि जमा नहीं हो पाई हैं।
केके केथुनिया, प्रबंधक, सेन्ट्रल बैंक, जावरा
———– सोयाबीन फसल के पत्ते पड़े पीले आलोट. क्षेत्र मे पीला सोना के नाम से जानी जाने वाली फसल सोयाबीन को पिछले करीब दो सप्ताह से एक अजीब सा रोग(वायरस) हो गया है । यह रोग सोयाबीन फसल के पौधों की जड़ों में ऐसा फैला है कि वह पूरे खेत की फसल को चौपट कर रही है। इसके चलते किसानो की चिंता बढ गई है । कृषि विभाग को इस रोग का इलाज शीघ्र करना चाहिए वरना किसानों के समक्ष गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।
विक्रमगढ़ से पिपल्या सिसौदिया-बरखेडाकलां सड़क मार्ग पर स्थित देवीसिंह पिता दौलतसिंह का दस बीघा का एक खेत है, जिसमे सोयाबीन 73.22 क्षेत्र में बोई है। फसल भी अच्छी खड़ी है । परन्तु किसान देवीसिंह का कहना है कि 15 से 20 दिन के भीतर सोयाबीन फसल में ऐसा रोग आ गया कि फसलें सूखती जा रही और पौधे पीले पड़ गए हैं। उनमें लगी फलियां बिना दाने के सूखकर खेतो में गिरने लगी है । उनका मानना है कि बीज मे कोई खराबी नहीं है तथा उन्होंने बोवनी से लेकर अब तक लगभग 60 हजार रुपए खर्च कर दिए हंै और उक्त रोग अब धीर-धीरे पडौस के भूपेन्द्रसिंह पिता ईश्वरसिंह, धर्मेन्द्रसिंह पिता देवीसिंह, गजेन्द्रसिंह पिता ईश्वरसिंह, गोविंदसिह पिता प्रतापसिंह, गोवर्धन पिता भीरमा, रामपालसिंह पिता हरिसिंह, चंद्रपालसिंह पिता हरिसिंह आदि के खेतों में खड़ी सोयाबीन को भी अपनी चपेट में ले रहा है । जिससे इन कृषको के साथ-साथ अन्य किसानों की चिंता भी बढ़ती जा रही है, इसलिए समय रहते कृषि विभाग को इस रोग के फैलने के कारणो और बचाव के उपाय खोज कर किसानों को अविलंब राहत देना चाहिए।