मुस्लिम एरिया में भी कांग्रेस को मात
शहर विधानसभा के लिए बनाए गए २५७ बूथों में से वर्तमान कांग्रेस के वार्डों और मुस्लिम बहुल इलाकों में भी देखें तो कांग्रेस को कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिला है। एकाध बूथ को छोड़ दें तो कांग्रेस को इन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के बूथों में भी मोदी फैक्टर के आगे हारना पड़ा है। कुछ मुस्लिम महिलाओं और बुजुर्गों से चर्चा करने पर उनका कहना था कि वे वर्षों से कच्चे मकानों में रह रहे हैं लेकिन अब पक्के मकान का सपना पूरा हुआ है। यह आज तक कांग्रेस नहीं कर पाई जबकि नरेंद्र मोदी ने इसे पूरा कर दिया है। इसलिए हमने इस बार कांग्रेस की बजाय भाजपा और खासकर नरेंद्र मोदी को वोट देने को तवज्जो दी है।
शहर विधानसभा के लिए बनाए गए २५७ बूथों में से वर्तमान कांग्रेस के वार्डों और मुस्लिम बहुल इलाकों में भी देखें तो कांग्रेस को कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिला है। एकाध बूथ को छोड़ दें तो कांग्रेस को इन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के बूथों में भी मोदी फैक्टर के आगे हारना पड़ा है। कुछ मुस्लिम महिलाओं और बुजुर्गों से चर्चा करने पर उनका कहना था कि वे वर्षों से कच्चे मकानों में रह रहे हैं लेकिन अब पक्के मकान का सपना पूरा हुआ है। यह आज तक कांग्रेस नहीं कर पाई जबकि नरेंद्र मोदी ने इसे पूरा कर दिया है। इसलिए हमने इस बार कांग्रेस की बजाय भाजपा और खासकर नरेंद्र मोदी को वोट देने को तवज्जो दी है।
हर मोहल्ले में दर्जनों नेता
हर शहर या गांव कहीं पर भी चले जाएं तो हर जगह भाजपा या कांग्रेस से जुड़़ा कोई न कोई नेता, कार्यकर्ता और उनके परिवार मिल ही जाएंगे। हर बूथ में ६०० से लेकर १००० तक मतदाता तय थे। कांग्रेस को ३० से ज्यादा बूथों में ५० से भी कम वोट मिले हैं। राजनीतिक दलों के अनुसार हर बूथ में एक दल से जुड़े कम से कम ३० से ४० परिवार किसी न किसी पार्टी का कट्टर समर्थक होता ही है। ऐसे में इतने कम वोट मिलना बताता है कि कट्टर समर्थकों ने भी कांग्रेस को वोट देने की बजाय नरेंद्र मोदी को प्रमुखता दी है। हालांकि एक बूथ ऐसा भी है जहां भाजपा को मात्र आठ वोट मिले हैं। यह बूथ क्रमांक १४८ है। इसी बूथ पर कांग्रेस को ५८० वोट मिले हैं।
हर शहर या गांव कहीं पर भी चले जाएं तो हर जगह भाजपा या कांग्रेस से जुड़़ा कोई न कोई नेता, कार्यकर्ता और उनके परिवार मिल ही जाएंगे। हर बूथ में ६०० से लेकर १००० तक मतदाता तय थे। कांग्रेस को ३० से ज्यादा बूथों में ५० से भी कम वोट मिले हैं। राजनीतिक दलों के अनुसार हर बूथ में एक दल से जुड़े कम से कम ३० से ४० परिवार किसी न किसी पार्टी का कट्टर समर्थक होता ही है। ऐसे में इतने कम वोट मिलना बताता है कि कट्टर समर्थकों ने भी कांग्रेस को वोट देने की बजाय नरेंद्र मोदी को प्रमुखता दी है। हालांकि एक बूथ ऐसा भी है जहां भाजपा को मात्र आठ वोट मिले हैं। यह बूथ क्रमांक १४८ है। इसी बूथ पर कांग्रेस को ५८० वोट मिले हैं।