बाल चिकित्सालय में कार्यरत वार्ड ब्वायों को इस स्टोर को खाली करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने कहा लेकिन किसी ने इसे खाली करने की जरुरत महसूस नहीं की। अब आईसीटीसी सेंटर जिला अस्पताल से बाल चिकित्सालय में लाया जाना है जिससे जांचों का दायरा भी बढ़ेगा। इसलिए लेबोरेटरी के पास ही एक और कक्ष बनाकर लेबोरेटरी के लिए दवाओं का स्टोर बनाया जाना है जहां वर्तमान में ये दवाइयां रखी हुई है। शुक्रवार ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. योगेश निखरा ने यहां आकर देखा तो पता चला कि कमरा खाली नहीं है। इस पर उन्होंने वार्ड ब्वायों को फटकार लगाई। इसके बाद यह कक्ष खाली करके दवाइयां बाहर निकाली गई।
अब भी जिले के ६४१ स्कूलों में नहीं है बिजली
सवा पांच सौ प्राथमिक विद्यालय और सवा सौ के आसपास माध्यमिक विद्यालय हैं बिजलीविहिन
रतलाम।
पिछले २५ सालों से चल रहे पहले राजीव गांधी शिक्षा मिशन और अब सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत अब तक अरबों रुपए स्कूलों के लिए खर्च किए जा चुके हैं किंतु दयनीय स्थिति की बानगी यह है कि आज भी जिले के सवा छह सौ से ज्यादा स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है। इस साल के शुरुआत में ही करीब चार सौ स्कूलों में बिजली कनेक्शन के लिए राशि देने के बाद भी यह स्थिति है। सबसे ज्यादा हालत प्राथमिक विद्यालयों की है। जिले में इनकी संख्या सवा पांच सौ से ज्यादा है। अब जाकर जिला शिक्षा केंद्र ने इन बिजलीविहिन स्कूलों की सुध लेने के लिए यहां राशि स्वीकृत करवाने के लिए वार्षिक कार्ययोजना में प्रस्ताव करने की सोची है।
भवन निर्माण पर रहा जोर
राजीव गांधी शिक्षा मिशन के चलने के दौरान और इसके बाद सर्वशिक्षा अभियान के रूप में नाम बदलने के दौरान भी नीचे से लेकर ऊपर तक बैठे अधिकारियों का ध्यान केवल निर्माण कार्यों पर ही रहा है। स्कूलों में क्या सुविधाएं हैं, कितने शिक्षक हैं या क्या जरुरत हैं इस पर ध्यान ही नहीं दिया। निर्माण कार्यों में सबसे ज्यादा राशि खर्च की गई और इसमें नीचे से लेकर ऊपर बैठे तमाम अधिकारियों के वारे-न्यारे हो गए हैं। इसीलिए दूसरी सुविधाओं की बजाय निर्माण कार्यों पर ही ध्यान दिया गया।
सैलाना-बाजना में हालात खराब
बिजलीविहिन स्कूलों के मामले में सैलाना और बाजना जैसे आदिवासी अंचल में सबसे ज्यादा हालात खराब है। प्रावि में सबसे ज्यादा बिजलीविहिन स्कूलों की संख्या इन्हीं दो विकासखंडों में सामने आई है। कुछ इसी तरह की स्थिति मावि को लेकर भी है। पिपलौदा और जावरा विकासखंड मावि में बिजली नहीं होने को लेकर काफी संख्या है। दोनों विकासखंडों में आधे से ज्यादा बिजलीविहिन स्कूलों की संख्या है। साल की शुरुआत में ही प्रावि के लिए सात हजार और मावि के लिए १० हजार रुपए जारी किए गए हैं।