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झारखंड: इस वजह से फल-फूल रहा लाल आतंक, कुछ वर्षों में सैंकड़ों गाड़ियां फूंकी

locationरांचीPublished: Jul 12, 2019 06:07:14 pm

Submitted by:

Prateek

Naxalwad In Jharkhand: अब तक बडी संख्या में जलाएं वाहन
पुलिस ( Jharkhand Police ) मौन
ज्यादातर अपराधी ( Naxalites ) पकड़ से दूर

 

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(रांची,रवि सिन्हा): देश में जमींदारों और सूदखोरी प्रथा के दौरान शोषण एवं प्रताड़ना के खिलाफ उपजा वामपंथी चरमपंथी आंदोलन ( Naxalwad In Jharkhand ) अब पूरी तरह से अपने सिद्धांतों से भटक कर अवैध लेवी ( levi ) (रंगदारी) वसूलने वाले अपराधियों के गिरोह में तब्दील हो चुका है।


झारखंड के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों से सक्रिय नक्सली संगठनों ( naxalites In Jharkhand ) द्वारा लेवी नहीं मिलने के कारण सबसे पहले निर्माण कार्य में जुटी कंपनियों के वाहनों को निशाना बनाया जाता है। पिछले तीन महीने के दौरान सूबे में अलग-अलग घटनाओं में दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। वहीं वर्ष 2000 में अलग झारखंड राज्य गठन के वाहनों को आग के हवाले करने की संख्या दर्जनों ही नहीं, सैकड़ों तक पहुंच सकती है।


लातेहार में एक दर्जन वाहन फूंके

Naxalwad In Jharkhand

झारखंड में पिछले तीन महीने के दौरान अलग-अलग घटनाओं में करीब तीन दर्जन वाहनों को उग्रवादी तथा आपराधिक संगठनों ने आग के हवाले कर दिया। ताजा घटना लातेहार जिले ( Naxalites In latehar ) की है। जहां गुरुवार देर (बीती रात) रात नक्सली संगठन ( JJMP ) झारखंड जनमुक्ति परिषद ( Jharkhand Janmukti Parishad ) ने एक दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया। वहीं पिछले 15 दिनों में लातेहार जिले में दो अन्य घटनाओं में नक्सलियों 10 वाहनों में आग लगा दी। इससे पहले सिमडेगा जिले में भी नक्सलियों ने छह वाहनों को फूंक डाला था।


चुनाव में फैलाई दहशत

Naxalwad In Jharkhand

लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Election 2019 ) के दौरान नक्सलियों ने रांची में एक वाहन में आग लगाकर दहशत पैदा करने की कोशिश की,वहीं सरायकेला ( Saraikela ) में भी कई आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया। मई और जून महीने में नक्सलियों चतरा जिले में दो अलग-अलग घटनाओं में नौ वाहनों को आग लगा दिया, जबकि फरवरी में रामगढ़ जिले में नक्सलियों ने दस वाहनों को आग के हवाले कर दिया था।


जानने के बाद भी पुलिस मौन

 

Naxalwad In Jharkhand

पुलिस मुख्यालय ( jharkhand police Headquarter ) भी इस सच्चाई से वाकिफ है कि उग्रवादी संगठन सरकार की ओर से गांव के विकास के लिए दी जा रही योजनाओं से ही फल-फूल रहे है। सुदूरवर्ती ग्रामीण और जंगली इलाके में सड़क, पुल-पुलिया निर्माण, ग्रामीण विद्युतीकरण और सिंचाई योजनाओं को पूरा करने तथा लौह अयस्क, कोयला और बॉक्साइड खनन कार्य में लगी निर्माण कंपनियों से उग्रवादी योजना की राशि ( Naxalites Levi Cases ) के अनुरूप एक हिस्सा मांगते है। निर्माण कार्य में लगे कई ठेकेदार नक्सलियों से सांठगांठ कर सफलतापूर्वक काम करा कर बाहर निकल जाते है, लेकिन कुछ संवेदक उग्रवादियों को रंगदारी देने से इंकार कर देते है, जिसके अक्सर रात के अंधेरे का फायदा उठाते हुए उग्रवादियों द्वारा वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। इस तरह की घटनाओं से निर्माण कार्य में लगी कंपनियों को करोड़ों का नुकसान होता है।


बहुत कम मामलों में हाथ आते है अपराधी

Naxalwad In Jharkhand

अधिकांश मामलों में यह देखा गया है कि उग्रवादी जब वाहनों को आग के हवाले कर मौके से फरार हो जाते है, तब पुलिस मौके पर पहुंचती है। लेकिन ऐसे मामले में कोई ठोस साक्ष्य या गवाह नहीं मिल पाने के कारण उग्रवादियों या अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाती है। हालांकि पुलिस अन्य कई उग्रवादी घटनाओं में संलिप्त आरोपियों को पकड़ती है, तो यह पता चल पाता है कि आगजनी की घटना में वह नक्सली शामिल था। परंतु दर्जनों आगजनी की घटनाओं में से एक-दो मामले ही ऐसे होंगे, जिसमें वाहन आग लगने वाले किसी नक्सली या अपराधी को अदालत से सजा दिलाने में पुलिस सफल हो पाती है।

बहुत कम नक्सली मुख्य धारा की ओर

Naxalwad In Jharkhand

राज्य पुलिस ( Jharkhand Police ) की ओर से नक्सलियोें को मुख्यधारा में लाने के प्रयास किए जा रहे है। इसके तहत उग्रवाद का रास्ता छोड़कर आने वाले नक्सलियोें को पुलिस की ओर से प्रोत्साहन राशि दी जाती है। पर इस प्रक्रिया में बहुत ही कम नक्सली रूची दिखा रहे हैं। पुलिस को भी आवश्यकता है कि हर उग्रवादी घटना के बाद आरोपी नक्सलियों को पकड़ा जाए। शायद शिकंजे को कसता देख नक्सली मुख्य धारा में आने की सोचे और आमजन को भी ऐसी हिंसक घटनाओं से निजात मिले और राज्य विकास की ओर गतिशील हो।

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