जल संसाधन विभाग के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गठित होने वाले डैम सेफ्टी रिवियू पैनेल द्वारा राज्य के सभी बड़े-छोटे बांधों का निरीक्षण कर सुरक्षात्मक कार्रवाई के लिए आवश्यक उपाय सुझाएगी, जिसके अनुसार कार्रवाई कर बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। राज्य सरकार की ओर से केंद्रीय जल आयोग के ऑपरेशन मैनुअल के पालन के लिए ठोस कदम उठाने का भी निर्णय लिया गया है।
बताया गया है कि बांधों के भू आकृतिक बदलाव की आशंका और उससे बांधों के धराशायी होने के खतरे से आगाह कराने के लिए न तो सिसमिक उपकरण उपलब्ध है और न ही केंद्रीय नियंत्रण कक्ष बनाकर रिमोट सेसिंगडाडा ग्रहण के लिए कोई उपाय किया गया है। जिसके कारण कई महीने पहले ही केंद्रीय जल आयोग ने झारखंड में डैम मैनेजमेंट की उपेक्षा को चिन्हित करते हुए कोनार डैम में आतंरिक तापमान में बदलाव के कारण संरचना में आई धंसान और दरार को उदाहरण स्वरूप पेश किया गया, लेकिन राज्य सरकार ने यह कह कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की है कि कोनार डैम डीवीसी के नियंत्राधीन है।
गौरतलब है कि झारखंड में वर्ष 1953 से 1968 के माध्य बने 13 बांधों तिलैया, बतारे, गोन्दा, जमुनिया, कोनार, धाधरा, मैथन, पंचेत, हटिया, सीतारामपुर, बाटंडी-कैराबनी और पतरातु का निर्माण कराया गया है। इसमें से कई बांधों से जलाशय योजना का संचालन वर्षां से बंद है, लेकिन बतरे, गोन्दा, जमुनिया, घाघरा और कैराबनी जलाशय योजना का संचालन किया जा रहा है।