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राजसमंद

आस्था पर भारी कमाई का रास्ता, बनास में जगह-जगह उभर आए स्वार्थ के दाग

अभियान : पवित्र बनास का मैला दामन
एक तरफ धार्मिक महत्व के बावजूद मैला कर रहे दामन, दूसरी ओर बजरी के लिए खोद दी बनास अब रेत नहीं दिखते हैं सिर्फ गोल पत्थर

राजसमंदMay 21, 2019 / 11:46 am

laxman singh

Stones of self-interest emerged in river of Banas

आस्था पर भारी कमाई का रास्ता, बनास में जगह-जगह उभर आए स्वार्थ के दाग

गिरिराज सोनी/प्रमोद भटनागर
नाथद्वारा. शहर से होकर गुजर रही यमुना स्वरूपा बनास का हाल जो गणगौर घाट, चित्रकूट व गनी बाबा मार्ग के यहां पर हो रहा है उसके बाद इस नदी पेटे का जो कत्लेआम रेत माफिया के द्वारा किया जा रहा है वह न सिर्फ नदी के लिए बल्कि लोगों के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। ऐसे में जहां पूर्व में नदी में रेत के टीले दिखाई देते थे वहां अब सिर्फ गोल पत्थरों के ढेर पड़े हुए हैं।
शहर से होकर गुजर रही बनास नदी के स्वरूप को जितना इसमें फैलाई जा रही गंदगी व प्लास्टिक के अपशिष्ट ने बिगाड़ा है उससे भी कहीं अधिक बुरी गत रेत माफिया अपने स्वार्थ के लिए इस नदी की कर रहे हैं। यही कारण है कि पूर्व में जहां नदी में पानी उतरने पर रेत के टीले दिखाई देते थे वहां अब बड़े-बड़े पत्थरों के टीले ही दिखाई दे रहे हैं। क्षेत्रीय बोलचाल में इन्हे लोड़ी भी कहा जाता है, जो किसी काम के नहीं हैं। पत्थरों के ढेर के ठीक पास बजरी के अंधाधुंध खनन से इतने गहरे गड्ढे कर दिये गए हैं कि नदी में पानी का प्रवाह इनके कारण प्रभावित होगा और इन गड्ढ़ों के भरने के बाद ही आगे बढ़ पायेगा। नदी में इन गड्ढ़ों ने एक तरह से छोटी तलैया का रूप ले लिया है। ऐसे इस क्षेत्र में पानी होने पर कोई भी अनजान व्यक्ति नहाने के लिये पहुंच गया तो वो नदी समझकर इसमें उतर गया तो हादसे का शिकार भी हो सकता है। नदी से रेत के खनन पर पिछले लम्बे समय से पाबंदी लगी हुई है। इसके बावजूद शहर से सटी होने पर भी संबंधित विभाग और प्रशासन इसकी निगरानी नहीं कर पा रहे हैं। इसका ही नतीजा है कि रेत माफिया यहां अवैध खनन के साथ ही नदी के स्वरूप से खिलवाड़ करने में भी नहीं चूक रहा। बनास नदी की जो दिनों-दिन बदहाली होती जा रही है उसको लेकर शहर की जनता में भी काफी रोष है। इसको लेकर लोग समय-समय पर शिकायत भी करते हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन द्वारा इसको संवारने की बात तो दूर इसके स्वरूप को बिगाडऩे वालों पर कोई ठोस कार्रवाई तक नहीं की है।

पेटे की समानता बनाये रखने का था नियम
नदी से बजरी खनन पर सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के पूर्व यहां खनन के लिए लीज होती थी। उस समय एक नियम बना हुआ था कि बजरी निकालने के बाद जो गडढ़़ा हो जाता है उसे बजरी की लीज लेने वाले ठेकेदार को पुन: पत्थरों आदि से पाटना होता था। इससे बजरी के खनन के बाद भी नदी का स्वरूप नहीं बिगड़ता और उसका पेटा एक समान रहता था। लेकिन, वर्तमान में अवैध खनन के चलते बजरी माफिया ने नदी के स्वरूप को पूरी तरह बिगाड़ दिया है।
किसानों को भी भुगतना पड़ेगा नुकसान
नदी के आसपास के क्षेत्र के खेत मालिकों का कहना है कि बनास नदी में जो बदहाल स्थिति बनी हुई है इसका खामियाजा उन्हें आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा। जिनके कुओं में पानी का जो सेजा नदी की वजह से बना रहता है, वो कम हो जाएगा एवं मानसून के जाने के बाद जो कुओं से खेतों में खड़ी फसल को पिलाई हो जाती है वो नहीं हो पायेगी। उनका मानना है कि बनास नदी की सुरक्षा एवं संरक्षण को लेकर सरकार के नुमाईंदों के द्वारा प्रभावी रूप से कार्यवाही नहीं करने से इसकी स्थिति दिनोंदिन बिगड़ रही है। इससे क्षेत्र के पर्यावरण के साथ भूजल स्तर पर भी काफी असर पड़ेगा।
घाट पर वाहनों की धुलाई भी
युवाओं ने बताया कि बनास नदी के गणगौर घाट पर हालात यह है कि यहां पर कई लोग अपनी कार-जीप सहित अन्य वाहनों को लेकर पहुंच जातें हैं और उनकी धुलाई यहां पर करते हैं। इसके लिये नगर पालिका प्रशासन को भी अवगत कराया गया तो उनके द्वारा बेरीकेड बनवाकर लगाए गए। परंतु, लोग उन बेरीकेड का भी तोड़ निकालते हुए वाहनों को लेकर पहुंच जाते हैं। इससे घाट पर बदहाल स्थिति बनी रहती है। हालांकि, अभी तो नदी में पानी नहीं है, जिसके चलते वाहन चालक नहीं आ रहे लेकिन, जैसे ही नदी में पानी आयेगा तो यहां फिर पूर्ववत स्थिति हो जायेगी।
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