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दुर्लभ सिक्कों के नाम पर ग्राहकों से लूट : 1200 रुपए के सिक्के बेच रहे 2400 में

locationराजसमंदPublished: Nov 09, 2018 12:34:35 pm

Submitted by:

laxman singh

प्राचीन सिक्कों के ज्वैलरी कारोबारी ले रहे मनमाने दाम

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दुर्लभ सिक्कों के नाम पर ग्राहकों से लूट : 1200 रुपए के सिक्के बेच रहे 2400 में

अश्वनी प्रतापसिंह/लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद

दीपावली सीजन में अद्वितीय चीजों के नाम पर ज्वैलर्स ग्राहकों को खुलेआम लूट रहे हैं। वह ग्राहक से न केवल मनमाने दाम वसूलते हैं, बल्कि विक्रय के सारे नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ाते हैं। ग्राहक कहीं भी दावा नहीं करे, इसलिए उसे बिल और पर्चे भी नहीं देते। बाजार में कतिपय दुकानदारों की इस तरह की धांधली को लेकर मंगलवार को पत्रिका टीम ने स्टिंग किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पत्रिका टीम शहर के पुराने बस स्टैंड के पास शिवमंदिर के सामने कॉर्नर पर स्थित एक ज्वैलर्स की दुकान पर पहुंची। यहां दुकानदार ने पत्रिका टीम को गॉर्जियस राजा के नाम का सन् 1945 का चांदी का सिक्का 2400 रुपए में दिया, जबकि वैसा ही सिक्का सर्राफा बाजार में 1200 रुपए में उपलब्ध था। जब दुकानदार से दोनों सिक्कों को लेकर बात की गई तो वह संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाया तथा अपना बेचा गया सिक्का वापस ले लिया। ऐसे कितने ही ग्राहकों को युनिक आयटम के नाम पर लूटा जा रहा है। खासतौर से दिवाली सीजन में उल्लू बनाया जा रहा है।
सिक्का लेने के बाद पत्रिका टीम इसकी हकीकत की पड़ताल के लिए सर्राफा बाजार क्षेत्र में पहुंची। यहां धनतेरस के दिन टीम सदस्य ने वैसा ही सिक्का 1200 रुपए में लिया था। टीम उसी दुकानदार के पास गई और उसी सन् का राजा गॉर्जियस का चांदी का दूसरा सिक्का फिर से दुकानदार ने 1200 रुपए में दे दिया। अब टीम के पास एक ही सन के तीन सिक्के हो गए, जिसमें दो सिक्के एक दुकान के थे, जो 1200-1200 रुपए में खरीदे गए थे, जबकि एक वैसा ही सिक्का 2400 रुपए का था। तीनों सिक्के लेकर टीम पुन: शहर के पुराने बस स्टैंड के पास शिवमंदिर के सामने स्थिति ज्वैलर्स की दुकान पहुंची। अब टीम ने एक-एक सिक्के दिखाए।
ऐसे चला घटनाक्रम
स्थान : शहर के पुराने बस स्टैंड के पास शिवमंदिर के सामने स्थित
एक ज्वैलर्स की दुकान।
पत्रिका टीम : पुराना चांदी का सिक्का चाहिए।
ज्वैलर्स: चार-पांच सिक्के दिखाए, जिसमें एक सिक्का 1945 का था तथा राजा गॉर्जियस का फोटो छपा था।
पत्रिका टीम: यह कितने का है।
ज्वैलर्स: सिक्के को पलटने के बाद २५०० रुपए का।
पत्रिका टीम: कल यही सिक्का 1200 रुपए में खरीदा गया था।
ज्वैलर्स: नहीं वो रानी विक्टोरिया का होगा। रानी छाप वाले सिक्के से यह ज्यादा युनिक होता है, इसलिए यह महंगा है।
पत्रिका टीम : हमारे पास कुछ और सिक्के पड़े हैं, पुराने आपको दिखाऊंगा।
ज्वैलर्स: ठीक है ले आना, हम आपको उनकी सही रेट भी बता सकते हैं।
पत्रिका टीम : ठीक।
पत्रिका टीम: सिक्के का मोल करते हुए, कुछ कम ज्यादा।
ज्वैलर्स : दस-बीस रुपए कम दे दो।
पत्रिका टीम: २४०० में हो जाएगा क्या?
ज्वैलर्स: ठीक है, दे दो अच्छा। कहते हुए सिक्के को एक डिब्बी में डालकर बिना बिल दिए पकड़ा दिया।
पत्रिका टीम: यह दो सिक्के भी हुबहू आपके सिक्कों से मिल रहे हैं। इनकी कीमत १२००-१२०० रुपए की है। आपका सिक्का २४०० रुपए का क्यों है?
ज्वैलर्स: वजन करने के बाद बोला, देखो आपका एक सिक्का तो १२ ग्राम से ऊपर है, जबकि यह सिक्के १२ ग्राम के नहीं होते, यह चलन वाला सिक्का नहीं है, बनाया गया है।
पत्रिका टीम ने दूसरा सिक्का दिया, और उसका वजन करवाया तो वह लगभग ज्वैलर्स के सिक्के के बराबर वजन का ही निकला। वह अपनी बात से पलटते हुए बोला।
ज्वैलर्स: जिस दुकानदार ने आपको यह सिक्का दिया है, उसे इसका सही रेट मामूल नहीं होगा, इसलिए उसने कम में दिया है।
पत्रिका टीम: ठीक है, आपकी नजरों में एक सिक्के की कीमत 2400 रुपए है, आप हमारे सिक्के 2300-2300 रुपए में खरीद लो। दुकान से 2400 रुपए में खरीदा सिक्का वापस कर दिया।

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