मंदिर परम्परानुसार हुआ समाधान शारदा एवं ज्योतिष पीठाधीश ने पहुंच प्रभु श्रीनाथजी की राजभोग झांकी के दर्शन किए। फिर निधि स्वरूप लाड़ले लालन के दर्शन कर वह महाप्रभुजी की बैठक में पहुंचे, जहां श्रीकृष्ण भंडार के अधिकारी सुधाकर उपाध्याय ने शंकराचार्य के सिर पर फेंटा बांधकर रजाई ओढ़ाई व प्रभु श्रीनाथजी का प्रसाद प्रदान कर परंपरानुसार समाधान किया। इस दौरान मंदिर मंडल के मुख्य निष्पादन अधिकारी महिपाल कुमार, श्रीकृष्ण भण्डार अधिकारी सुधाकर उपाध्याय, मुख्य प्रशासक भरत भूषण व्यास, तिलकायत सचिव लीलाधर पुरोहित आदि मौजूद थे।
बोले— यहां आना ठाकुरजी की इच्छा पर निर्भर शंकराचार्य ने दर्शन करने के बाद पत्रिका से बातचीत में कहा कि यहां हम शायद पिछली बार वीआईपी बनकर आए तो हमें उस वक्त ठाकुरजी के दर्शन नहीं हुए और पट बंद हो गए थे। इस बार हम साष्टांग हो कर आए हैं तो ठाकुरजी ने द्वार खोल दिए और दर्शन हो गए। यहां आना ठाकुरजी की इच्छा पर निर्भर है।
हिन्दुस्तान के बादशाह इस मंदिर में प्रभु की सीढिय़ों को बुहारते हैं अपनी दाढ़ी से
https://www.patrika.com/rajsamand-news/rajsamand-patrika-latest-news-rajsamand-hindi-news-8089097 मुख्य पुजारी से बोले— आप सौभाग्यशाली शंकराचार्य ने मुख्य सेवाधिकारी को कहा- ‘आप यहां सेवा कर रहे हैं, बहुत बड़ी बात है और आप सौभाग्यशाली हैं, जो सेवा कर रहे हैं।’ शंकराचार्य ने प्रभु श्रीनाथजी की महिमा को अलौकिक बताते हुए कहा कि यहां के दर्शन के लिए भी लोग तरसते हैं। यहां आना और ठाकुरजी के दर्शन लाभ लेना एक अलग ही अनुभूति है।