श्रद्धालु अपने जूते लिये बिना ही चले जाते हेैं जानकारी के अनुसार यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। साथ ही पिछले दिनों रामदेवरा जाने वाले श्रद्धालुओं की भी काफी आवाजाही रही थी। इस दौरान श्रद्धालु दर्शन करने के लिए अपने जूते खोलकर मंदिर में जाते हैं। लेकिन वापसी में जब जूते लेने आते हैं तो उनको चोपाटी से मंदिर मार्ग होकर पुन: नक्कारखाने के वहां जूते लेने जाते हैं। ऐसी स्थिती में काफी श्रद्धालु अपने जूते या तो छोड़कर जाते हैं या फिर उनको जूते नहीं मिलते हैं। जिसके चलते श्रद्धालु अपने जूते लिये बिना ही चले जाते हेैं। जिससे यह स्थिति हो जाती है। इसी तरह से जमा हुए ये सैंकड़ों जोड़ी जूते टे्रक्टर ट्रॉली मंगवा कर उसमें भरकर यहां से दूर डलवाये गए हैं।
चौपाटी या इससे पहले ही स्टेंड होना चाहिए हालात ये हो गए कि एक ट्रॉली जूते भर जाने के बाद भी कई जोड़ी जूते बच गए। कुछ दिनों पूर्व भी एक ट्रॉली जूते यहां से भरकर हटवाये गए थे। वहीं कई लोगों का यह भी मानना है कि मंदिर में जूते खोलने के लिये चौपाटी या इससे पहले ही स्टेंड होना चाहिए । जिससे श्रद्धालुओं को मंदिर से दर्शन करने के बाद निकासी मोतीमहल से होने पर वे अपने जूते दोबारा पहन सकें।हालांकि मंदिर मंडल के द्वारा मोतीमहल खुर्रे पर भी जूता स्टेंड की व्यवस्था कर रखी गई है,परंतु उनके लिए मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार जाने के लिये कहा जाता है ऐसे में श्रद्धालु अपने जूते वहां नहीं खोल पाते हैं ।