script

राजसमंद का सफेद सोना ‘Marble’ उतरा पाताल : 500 Mines बंद, उत्पादन भी 50 फीसदी घटा

locationराजसमंदPublished: Jul 17, 2019 10:37:48 am

Submitted by:

laxman singh

खदानों में स्टॉक खत्म होना प्रमुख कारण, कारोबारी कर रहे नए उद्योंंगो की ओर रुख
Marble business distress

Rajsamand,Rajsamand local news,rajsamand latest news,rajsamand news in hindi,RK Marble Group,rajsamand latest hindi news,rajsamand latest hindi news rajsamand,rajsamand latest news rajsamand,Rajsamand Marble,Latest News rajsamand,Latest hindi news rajsamand,

राजसमंद का सफेद सोना ‘Marble’ उतरा पाताल : 500 Mines बंद, उत्पादन भी 50 फीसदी घटा

लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद

राजसमंद की आर्थिक रीढ़ मार्बल उद्योग को ग्रहण लग गया है। (Marble business distress) पाताल पहुंची खानों (Mines) का स्टॉक खत्म होने, गहराई के साथ ही लागत बढऩे, बाजार में विदेशी टाइल्स (Tiles) आने के बाद 500 मार्बल खाने बंद हो गई है। ऐसी स्थिति में पिछले पांच साल में 50 फीसदी तक उत्पादन घट गया है। जिले की सबसे बड़ी RK Marble Mines में भी उत्पादन इतना घट गया है कि पहले 1 हजार कार्मिक कार्यरत थे और आज सिर्फ 300 लोग रह गए हैं। इसके अलावा खानों का संचालन एक शिफ्ट में रह गया है। यही स्थिति अन्य खदानों की भी है।
खदानों में मार्बल का उत्पादन घटने से गैंगसा युनिट, कटर का संचालन भी चार शिफ्ट की बजाय एक व दो शिफ्ट में रह गया है। उत्पादन के साथ परिवहन घटने से ट्रक व ट्रेलर संचालकों के गुजारे पर संकट खड़ा हो गया। दो साल पहले महीनेभर में 20 राउंड हो जाते थे, वहां अब 10 चक्कर भी मुश्किल से हो रहे हैं। इस कारण ट्रेलर मरम्मत, चालक वेतन, डीजल व परिवहन टैक्स भरना ही मुश्किल हो गया है। इस वजह से कई संचालक ट्रेलरों को भंगार में बेचने को मजबूर हो गए हैं। खाने बंद होने, उत्पादन घटने से 10 से 15 हजार श्रमिक बेरोजगार होने से पलायन कर गए हैं।
आरके मार्बल में 75 फीसदी घटत
वर्ष 2013 में आरके मार्बल माइंस में करीब 6 हजार ट्रक- टेलर प्रतिमाह उत्पादन हो रहा था, जबकि अब प्रति माह 2 हजार से भी कम ट्रक- ट्रेलर मार्बल का उत्पादन हो पा रहा है। आरके ग्रुप की नई माइंस का पैंदा उघड़ आया है, जिसे चौतरफा फेंसिंग कर सुरक्षित स्टेज पर ला रहे हैं। वर्ष 2015 से अब तक लगातार श्रमिक, इंजीनियर के साथ सभी कार्मिकों को पीआरएस ऑफर दिया, तो सैकड़ों लोग बाहर हो गए।
ग्राहकी नहीं, गड़बड़ाया अर्थतंत्र
सिरामिक, विक्ट्रीफाइट व विदेशी टाइल्स बाजार में आने के बाद मार्बल की बिक्री काफी कम हो गई, जिसकी वजह से मार्बल उद्योग का अर्थतंत्र ही गड़बड़ा गया है। इस वजह से अब मार्बल कारोबारियों के लिए नए उद्योग की ओर रुख करना ही एकमात्र विकल्प रह गया है। बिक्री घटने से खान, गैंगसा व कटर संचालकों के लिए श्रमिकों का वेतन भुगतान व बिजली बिल चुकाने की चिंता को लेकर अभी से पसीने छूटने लगे हैं।
मार्बल मंदी के ये प्रमुख कारण
– खदानें गहरी होने से खर्च बढऩे से दर महंगी
– गहराई में पहले जैसी मार्बल की गुणवत्ता नहीं
– सिरामिक टाइल्स का रेडिमेट उपयोग
– मार्बल फीटिंग में समय ज्यादा, घिसाई खर्च भी
– उत्पादन कम होने से भी दरें हुई महंगी
– शारीरिक दृष्टि से मार्बल अनुकूल, जबकि सिरामिक और विदेशी टाइल्स से कई साइड इफेक्ट है, मगर इससे आमजन नहीं वाकिफ
एक नजर में मार्बल उद्योग
1006 मार्बल की खदानें
400 मार्बल गैंगसा एसोसिएशन
350 ट्रक- ट्रेलर है राजसमंद में
20 हजार से श्रमिक खान, गैंगसा, कटर पर
10 हजार श्रमिक हो गए बेरोजगार
44 लाख टन है मार्बल का उत्पादन
20 फीसदी सिरामिक टाइल्स की बिक्री
80 फीसदी में मार्बल, विदेशी टाइल्स का बाजार

ट्रेंडिंग वीडियो