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चन्द्र ग्रहण आज, होंगे दान-पुण्य

locationराजसमंदPublished: Jul 16, 2019 12:02:02 pm

Submitted by:

laxman singh

पूरे ग्रहणकाल में खुले रहेंगे श्रीजी के दर्शन

Lunar eclipse today

चन्द्र ग्रहण आज, होंगे दान-पुण्य

प्रमोद भटनागर
नाथद्वारा. शहर में मंगलवार अद्र्धरात्रि के समय होने वाले चन्द्र ग्रहण पर आराध्य प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन पूरे ग्रहण काल में खुले रहेंगे। वहीं, श्रद्धालुओं के द्वारा विविध दान- पुण्य भी किया जाएगा। ग्रहण के चलते दर्शनों के समय में परिवर्तन भी रहेगा।
मंदिर से जानकारी के अनुसार मंगलवार को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर होने वाले चन्द्र ग्रहण के चलते मंगला के दर्शन प्रात: सवा ५ बजे से सवा ६ बजे तक, इसके बाद शृंगार सवा ७ बजे एवं राजभोग के दर्शन प्रात: सवा ११ बजे खुलेंगे। वहीं, मंगलवार को उत्थापन की झांकी के दर्शन नहीं खुल सायंकाल साढ़े ४ बजे भोग आरती की झांकी के दर्शन खुलेंगे।
ये रहेगा ग्रहण काल
चन्द्र ग्रहण इस बार अद्र्ध रात्रि में एक बजकर ३२ मिनट से प्रारंभ होगा, जिसमें मध्य काल रात्रि को ३ बजकर १ मिनट एवं मोक्ष बुधवार को तड़के साढ़े ४ बजे होगा। दो घंटे ५८ मिनट तक के इस पर्वकाल में ग्रहण के दौरान मंदिर की परंपरानुसार ३ बजकर २ मिनट पर गोदान किया जाएगा। इस समय गो माता को ठाकुरजी के सन्मुख डोल तिबारी में ले जाया जाकर पूजा अर्चना कर दान किया जाएगा। ग्रहण काल के समय प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन खुले रहेेंगे।
१७ को शृंगार के दर्शन : बुधवार को प्रात: ७ बजे शृंगार की झांकी के दर्शन खुलेंगे, जिसके बाद अन्य दर्शन का क्रम निर्धारित रहेगा।
चंद्रग्रहण पर बदलेगा दर्शनों का समय
राजसमंद. पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के द्वारिकाधीश मंदिर में मंगलवार को गुरु पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण होने से सेवा का विशेष क्रम रहेगा। मंदिर के अनुसार मंगलवार को चंद्रग्रहण होने से दर्शनों के समय में बदलाव किया गया है। इसके तहत मंगला के दर्शन प्रात: 6 बजे होंगे, राजभोग के दर्शन प्रात: 10 बजे, शयन के दर्शन शाम 4 बजे होंगे, बाद में रात्रि १ बजे मंगला के दर्शन होंगे, ग्रहण का सूतक रात्रि 1.30 बजे लगेगा, जिसमें प्रभु द्वारकाधीश के दर्शन 1.30 बजे से खुलेंगे और ग्रहण पूर्ण होने तक रात्रि 4.30 बजे तक खुले रहेंगे। बुधवार प्रात: 8 बजे प्रभु द्वारकाधीश के शृंगार के दर्शन खुलेंगे। गौरतलब है कि ग्रहण के कारण पुष्टिमार्गीय मंदिरों में सेवा का विशेष प्रकार रहता है और ऐसी मान्यता है कि प्रभु ग्रहण के समय के दौरान विश्राम नहीं करते। दर्शन खुले रहते हैं, ग्रहण के दौरान दान पुण्य का भी विशेष क्रम रहता है।

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