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13 में से 10 कुओं का अवैध व्यावसायिक उपयोग, होटलें पी गईं आम लोगों का हक

locationराजसमंदPublished: Jul 13, 2019 12:09:40 pm

Submitted by:

laxman singh

लाखेला तालाब में निकले कुओं के मामले की आ गई जांच रिपोर्टलाखेला के पेटे में निकले कुल 13 कुएं

Inquiry report of wells in Lakhela pond

13 में से 10 कुओं का अवैध व्यावसायिक उपयोग, होटलें पी गईं आम लोगों का हक

प्रमोद भटनागर/ओमप्रकाश शर्मा
कुंभलगढ़. एतिहासिक लाखेला तालाब का पैंदा उघडऩे के बाद निकले कुओं का पत्रिका की ओर से मुद्दा उठाने के बाद बनी चार सदस्यीय जांच कमेटी ने उपखण्ड अधिकारी को 11 जुलाई को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें अलग-अलग नाम से खातेदारी में कुल १३ कुएं निकले, जिसमें से १० कुओं का पानी व्यवसायिक उपयोग में लिया जाना सामने आया है। साथ ही दो कुओं का पानी कृषि एवं एक कुएं का पानी किसी भी कार्य में नहीं लिया जाना सामने आया है।
मामले को लेकर गत १२ जून को राजस्थान पत्रिका ने ‘तालाब का पंैदा उघडऩे पर कुएं क्या निकले, पानी चोरी की मच गई होड़Ó शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर शीघ्र रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए थे। इसको लेकर भी राजस्थान पत्रिका ने गत २ जुलाई को खबर प्रकाशित की थी। उपखण्ड अधिकारी परसाराम टांक ने जांच कमेटी में भू-अभिलेख अधिकारी, सम्बधित पटवारी, पंचायत प्रसार अधिकारी एवं सम्बधित सचिव की संयुक्त कमेटी का गठन कर तालाब के पेटे में स्थित कुओं की जांच करने के आदेश दिए थे। इसके तहत कमेटी की ओर से सौंपी गई जांच रिपोर्ट में इन कुओं के पानी के उपयोग के बारे में जानकारी दी गई। इसमें माउन्टेन ट्री रिसोर्ट प्रा.लि. के वाणिज्यिक कार्यों में, मोतसिंह वरदीङ्क्षसह वगैरह कृषि मेु, कुंभा महल हेरिटेज रिसोर्ट प्रा.लि. वाणिज्यिक, फॉर्चुन इन्टरप्राइजेज उदयपुर वाणिज्यिक, गीता स्टार रिसोर्ट प्रा.लि. जयपुर वाणिज्यिक, कुंभा पैलेस मारू दरवाजा आमेट वाणिज्यिक, गणेश पुत्रलच्छीराम वगैरह कृषि कार्य, चतरलाल पुत्र घासीलाल असावा वर्तमान में किसी भी कार्य में उपयोग नहीं लिया जा रहा है। वहीं, दिनेश पुत्र मांगीलाल सोनी वाणिज्यिक कार्यों में, कमलेश पुत्ररोशनलाल तलेसरा वगैरह वाणिज्यिक, गोवद्र्धन ङ्क्षसह झाला उदयपुर वाणिज्यिक, मैसर्स महिन्द्रा होलीडेज एण्ड रिसोर्ट इण्डिया लि. वाणिज्यिक एवं कुंभलगढ़ यात्री निवास प्रा.लि. द्वारा भी वाणिज्यिक कार्यों में पानी का उपयोग लेना बताया गया है। पूरी रिपोर्ट पर उपखण्ड अधिकारी टांक ने बताया कि सभी को नोटिस जारी कर दिए हैं। इसमें तालाब में कुएं किस की अनुमति या सक्षम स्वीकृति से खोदे गए हैं और सिंचाई एवं पेयजल के पानी का उपयोग किस नियम के तहत वाणिज्यिक रूप में उपयोग किया जा रहा है, सहित विभिन्न बिंदुओं पर जवाब तलब किया जाएगा। साथ ही विधिक नियमानुसार भी उचित कार्यवाही की जाएगी।

रियासतकाल में बना तालाब- असावा
केलवाड़ा के पूर्व सरंपच राधेश्याम असावा ने बताया कि लाखेला तालाब राजा-महाराजाओं ने क्षेत्र के गरीब किसानों के खेतों में सिंचाई कार्यांे के उपयोग के लिए बनवाया था। इससे सैकड़ों बीघा जमीन में फसलों की पैदावार की जाती थी। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता गया पानी की कमी होने लगी। लगभग ३५ वर्षेेंां तक जल कमेटी के अध्यक्ष रहते हुए असावा ने प्रशासन से मिलकर १० फीट पानी केलवाड़ा कस्बे के निवासियों के लिए पेयजल के लिए आरक्षित करवाया था। असावा ने पत्रिका से बात करते हुए बताया उन्होंने ३५ वर्षों तक तालाब का रखरखाव कराते हुए किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया था। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से राजनेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से तालाब के पेटे में अनाधिकृत रूप से कुएं खोद दिए गए। इससे सिंचाई के बाद पेयजल के लिए आरक्षित रहने वाला पानी कुओं के जरिए होटलों में चला जाता है। इससे तालाब लगभग हर साल सूखने के कगार पर पहुंच जाता है। उन्होंने मांग रखते हुए कहा कि जिस समय कुएं खोदे गए उस समय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए अवैध कुओं को बंद कर देना चाहिए। वहीं, अगर कुएं वैध हैं, तो इसका राजस्व किस विभाग को कितना मिल रहा है और उसका क्या उपयोग हो रहा है। अवैध है तो किसी की सह पर चल रहे हैं। इसका निराकरण होना चाहिए।
केलवाड़ा में पड़ रहे पेयजल के लाले
केलवाड़ा कस्बे में लाखेला तलाब सूखने के बाद इस वर्ष पेयजल तक लाले पड़ गए हैं। जहां ७२ घंटे के बाद नलों में मात्र २५-३० मिनिट पानी आ रहा है, वहीं टैंकरों से जलापूर्ति कर पेयजल की समस्या से निजात पाने की कोशिश की जा रही है। कुंभलगढ़ उपखण्ड मुख्यालय सहित आसपास में पहले से ही पेयजल का कोई स्थायी समाधान नहीं है। ऐसे में लाखेला तालाब ही एकमात्र सााधन है, जो आम लोगों की प्यास बुझाने के काम आता है।
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