6 नवंबर को रूप चतुर्दशी का पर्व भी श्रद्धा से मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाएं दुल्हन की तरह सज संवर कर महालक्ष्मी की पूजा अर्चना करेगी। ज्योतिष के मुताबिक सुबह रूप चौस का अरुणोदय स्नान सुबह 6 .50 बजे तक और सायं पूजा, यम दीपनम् अपराह्न 3.01 से 4.23 बजे तथा प्रदोष वेला 5.54 से 8 .18 बजे तक में रूप चतुर्दशी व नरक चतुर्दशी के निमित दीपदान करना फलदायी है।
मार्बल खदान, फैक्ट्री, कटर, गोदाम, दुकान, दफ्तर व अन्य तमाम प्रतिष्ठान के व्यापारियों ने बहीखातों की खरीद कर ली। इसके लिए स्टेशनरी की दुकानों पर व्यापारियों की काफी चहलकदमी रही। डेकोरेशन से सजने लगे मंदिर
नाथद्वारा के श्रीनाथजी व कांकरोली में द्वारकाधीश मंदिर में लाइट डेकोरेशन से सजा दिए गए हैं। मंदिरों में परंपरानुसार विशेष प्रसाद बनाने, गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में है। इसी तरह गढबोर में चारभुजानाथ व सैवंत्री में भगवान रूपनारायण मंदिर में भी परंपरानुसार धनतेरस, दीपावली व गोवर्धन पूजा पर्व मनाया जाएगा।
पंडित भरत खंडेलवाल ने बताया कि धनतेरस पर पूजा व खरीददारी का अबूझ मुहूर्त है, जिसके तहत दिनभर कुबेर पूजा, भगवान धनवन्तरी की पूजा व यम दीपदान किया जा सकेगा। खरीद मुहूर्त सोमवार सुबह 6 .50 से 8 .11 बजे, 9.33 से 10.55 से 12.39 बजे, शाम 1.40 से 5.55 बजे तक एवं प्रदोष वेला शाम 5.55 से 8 .19 बजे तक है।