Debris falling in the rain on the Khamanor-Balicha route लटकती चट्टानों और मलबे की भयावह तस्वीर
हल्दीघाटी की एक पहाड़ी को काटकर बनाई गई सड़क की मौजूदा स्थिति काफी भयानक हो चुकी है। बारिश में पहाड़ों से पानी के बहाव के कारण दीवारों पर धोरे से बन गए हैं। जलधारा से पहाड़ी लगातार कट रही है। मलबा और पत्थर पड़े हैं। लटक रही चट्टान और मलबे से भयावह तस्वीर बन गई है। किसी भी वक्त गिरने का खतरा मंडरा रहा है। पहाड़ में सीलन से पानी भी उतरने और अंदर से मिट्टी-पत्थरों के भरभराकर गिरने की डेढ़ दशक में आठ-दस घटनाएं हो चुकी हैं। कई बार पर्यटकों के वाहन मलबे में दबने से बच गए। रास्ता अवरुद्ध होने की स्थिति में कालोड़ा से सेमल उनवास होकर खमनोर तक का सफर करना पड़ता है।
मढ़ते हैं जिम्मेदारी, हल नहीं ढूंढ़ते
बारिश में हर साल खिसककर सड़क पर आने वाले मिट्टी, पत्थरों से मलबा जमा हो जाता है, जिसे उठाने के लिए भी दो विभागों के बीच टालमटोल होती रहती है। दरअसल जो पहाड़ है, वह वन विभाग की सीमा में है, जबकि बीच से निकलने वाली सड़क पहले सार्वजनिक निर्माण विभाग की थी और अब मेगा हाइवे के सर्वे के बाद एनएचएआई की देखरेख में चली गई है। ऐसे में मलबे को उठाने के लिए सड़क और वन विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहते हैं।Debris falling in the rain on the Khamanor-Balicha route वन विभाग कहता है कि सड़क पीडब्यूडी और हाइवे ऑथोरिटी की है, वहीं पीडब्यूडी कहता रहा है कि मलबा वन विभाग के पहाड़ों से खिसककर आ रहा है और सड़क को खराब कर रहा है। जबकि, दोनों ही विभागों ने समस्या का स्थायी हल ढूंढने पर कोई ठोस काम नहीं किया।
हल्दीघाटी की एक पहाड़ी को काटकर बनाई गई सड़क की मौजूदा स्थिति काफी भयानक हो चुकी है। बारिश में पहाड़ों से पानी के बहाव के कारण दीवारों पर धोरे से बन गए हैं। जलधारा से पहाड़ी लगातार कट रही है। मलबा और पत्थर पड़े हैं। लटक रही चट्टान और मलबे से भयावह तस्वीर बन गई है। किसी भी वक्त गिरने का खतरा मंडरा रहा है। पहाड़ में सीलन से पानी भी उतरने और अंदर से मिट्टी-पत्थरों के भरभराकर गिरने की डेढ़ दशक में आठ-दस घटनाएं हो चुकी हैं। कई बार पर्यटकों के वाहन मलबे में दबने से बच गए। रास्ता अवरुद्ध होने की स्थिति में कालोड़ा से सेमल उनवास होकर खमनोर तक का सफर करना पड़ता है।
मढ़ते हैं जिम्मेदारी, हल नहीं ढूंढ़ते
बारिश में हर साल खिसककर सड़क पर आने वाले मिट्टी, पत्थरों से मलबा जमा हो जाता है, जिसे उठाने के लिए भी दो विभागों के बीच टालमटोल होती रहती है। दरअसल जो पहाड़ है, वह वन विभाग की सीमा में है, जबकि बीच से निकलने वाली सड़क पहले सार्वजनिक निर्माण विभाग की थी और अब मेगा हाइवे के सर्वे के बाद एनएचएआई की देखरेख में चली गई है। ऐसे में मलबे को उठाने के लिए सड़क और वन विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहते हैं।Debris falling in the rain on the Khamanor-Balicha route वन विभाग कहता है कि सड़क पीडब्यूडी और हाइवे ऑथोरिटी की है, वहीं पीडब्यूडी कहता रहा है कि मलबा वन विभाग के पहाड़ों से खिसककर आ रहा है और सड़क को खराब कर रहा है। जबकि, दोनों ही विभागों ने समस्या का स्थायी हल ढूंढने पर कोई ठोस काम नहीं किया।