राज्य सरकार द्वारा कराई गई जांच के मुताबिक नाबार्ड व बैंक नियमावली के विरुद्ध दलाल चौहानों का गुड़ा (कुंभलगढ़) निवासी भैरूसिंह चौहान ने 5 बीघा जमीन रहन दर्ज कर फसली ऋण, टेंट सर्विस के नाम पर एक के बाद एक कर 20 लाख रुपए का ऋण उठा लिया और अब 26 लाख 72 हजार रुपए बकाया है। पहले ऋण का भौतिक सत्यापन रिपोर्ट नहीं है और दूसरे ऋण में सर्वे रिपोर्ट पर सुपरवाइजर व एलबीओ, सचिव के हस्ताक्षर ही नहीं होने के बावजूद तीसरी बार 9 लाख का ऋण दे दिया, जिस पर भी भौतिक सत्यापन रिपोर्ट नहीं है। इसी तरह दलाल भैरूसिंह ने उसके पिता रायसिंह के नाम पर 15.08 बीघा की एक ही जमीन पर एक के बाद एक कर पांच बार 35.25 लाख रुपए ऋण उठा लिया, जो अवधिपार होने के बाद 45.98 लाख हो गया। पहले ऋण की फाइल में कार्यालय टिप्पणी व ऋण स्वीकृत आदेश ही नहीं है। दूसरे ऋण में सर्वे रिपोर्ट पर सुपरवाइज, सचिव के हस्ताक्षर नहीं, तीसरे ऋण पर शपथ पत्र में ऋणी के हस्ताक्षर नहीं और पाचवें ऋण में ऋण खाता प्रचलित, पत्रावली उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा दलाल भैरूसिंह ने उसकी बुआ सायराबाई पत्नी देवीसिंह की 7.05 बीघा जमीन पर दो बार में 18 लाख का ऋण उठा लिया और अब 26.14 लाख अवधिपार है। बैंक से कार्रवाई होने पर दलाल भैरूसिंह ने स्वयं के साथ पिता व बुआ के नाम उठाए करीब 98.85 लाख रुपए ऋण की जिम्मेदारी लेते हुए बैंक को जल्द भुगतान की अर्जी लिखी।
नीलामी नहीं हुई, अब कुर्क की कार्रवाई
दलाल भैरूसिंह द्वारा करीब एक करोड़ रुपए हजम करने पर भूमि विकास बैंक द्वारा दलाल व उसके पिता, बुआ के मकान, जमीन की नीलाम करने की कार्रवाई की। फिर भी जमीन व मकान खरीदने के लिए कोई नहीं आया। इस पर अब बैंक ने मकान व जमीन कुर्क कर बैंक के नाम दर्ज करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
दलाल भैरूसिंह द्वारा करीब एक करोड़ रुपए हजम करने पर भूमि विकास बैंक द्वारा दलाल व उसके पिता, बुआ के मकान, जमीन की नीलाम करने की कार्रवाई की। फिर भी जमीन व मकान खरीदने के लिए कोई नहीं आया। इस पर अब बैंक ने मकान व जमीन कुर्क कर बैंक के नाम दर्ज करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
दो आरएएस-आईएएस पर भी सवाल
भूमि विकास बैंक में 20 अक्टूबर 14 से 31 दिसंबर 15 तक तत्कालीन जिला परिषद सीईओ बीएल स्वर्णकार व राजेन्द्र प्रसाद सारस्वत बतौर प्रशासक रहे हैं। उक्त समयावधि में करीब 15 फर्जी ऋण स्वीकृत हुए, जिससे उनकी भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
भूमि विकास बैंक में 20 अक्टूबर 14 से 31 दिसंबर 15 तक तत्कालीन जिला परिषद सीईओ बीएल स्वर्णकार व राजेन्द्र प्रसाद सारस्वत बतौर प्रशासक रहे हैं। उक्त समयावधि में करीब 15 फर्जी ऋण स्वीकृत हुए, जिससे उनकी भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
सरकार को भेजा जवाब, अध्यक्ष नहीं जिम्मेदार
बैंक अध्यक्ष गोविंदसिंह चौहान ने सहकारिता विभाग उदयपुर के अतिरिक्त रजिस्ट्रार को भेजे जवाब के अनुसार अध्यक्ष का मुख्य कार्य बैंक के नीतिगत निर्णय लेना है। ऋण आवेदन जांच, निरीक्षण, पत्रावली जांच व ऋण भुगतान कार्य तक में अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है। ऋण आवेदन तैयार करने से लेकर सर्वे रिपोर्ट, भौतिक सत्यापन, ऋण देने, ऋण का सदुपयोग नहीं होने की रिपोर्ट करने तक का सारा कार्य सुपरवाइजर, शाखा सचिव व भूमि मूल्यांकन अधिकारी का ही है। इसके लिए उक्त कार्मिक, अधिकारी ही जिम्मेदार है।
बैंक अध्यक्ष गोविंदसिंह चौहान ने सहकारिता विभाग उदयपुर के अतिरिक्त रजिस्ट्रार को भेजे जवाब के अनुसार अध्यक्ष का मुख्य कार्य बैंक के नीतिगत निर्णय लेना है। ऋण आवेदन जांच, निरीक्षण, पत्रावली जांच व ऋण भुगतान कार्य तक में अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है। ऋण आवेदन तैयार करने से लेकर सर्वे रिपोर्ट, भौतिक सत्यापन, ऋण देने, ऋण का सदुपयोग नहीं होने की रिपोर्ट करने तक का सारा कार्य सुपरवाइजर, शाखा सचिव व भूमि मूल्यांकन अधिकारी का ही है। इसके लिए उक्त कार्मिक, अधिकारी ही जिम्मेदार है।
जांच ही झूठी, अदालत करेगा न्याय
बैंक में कुछ डिफॉल्टर सामने आए, तो मैंने तत्काल वसूली की कार्रवाई करवाई। चार करोड़ के अनियमित ऋण मामले में मुझ पर जो भी आरोप लगे हैं, वे झूठे और बेबुनियाद है। पूरी जांच रिपोर्ट ही झूठी है, जो राजनीति द्वेषता से की गई है। अध्यक्ष कार्य सिर्फ नीतिगत निर्णय लेना है, जिसे हाइकोर्ट में रखा है। अदालत में दूध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा।
गोविंदसिंह चौहान, अध्यक्ष भूमि विकास बैंक राजसमंद
बैंक में कुछ डिफॉल्टर सामने आए, तो मैंने तत्काल वसूली की कार्रवाई करवाई। चार करोड़ के अनियमित ऋण मामले में मुझ पर जो भी आरोप लगे हैं, वे झूठे और बेबुनियाद है। पूरी जांच रिपोर्ट ही झूठी है, जो राजनीति द्वेषता से की गई है। अध्यक्ष कार्य सिर्फ नीतिगत निर्णय लेना है, जिसे हाइकोर्ट में रखा है। अदालत में दूध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा।
गोविंदसिंह चौहान, अध्यक्ष भूमि विकास बैंक राजसमंद