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चंद्रग्रहण का जीव जंतुओं पर क्या पड़ता है असर, बस्तर की नदी में हो रहा शोध

locationराजनंदगांवPublished: Jul 27, 2018 05:29:03 pm

Submitted by:

Atul Shrivastava

जीव विज्ञान के सहायक प्राध्यापक माजिद अली बीते कई साल से चंद्रग्रहण के दिन अध्ययन में जुटे, बस्तर के डंकिनी शंखिनी नदी में शोध जारी

Sharad Purnima 2018

चंद्रग्रहण का जीव जंतुओं पर क्या पड़ता है असर, बस्तर की नदी में हो रहा शोध

राजनांदगांव@ अतुल श्रीवास्तव. चंद्र्रग्रहण का मानव जीवन पर क्या असर पड़ता है, इसकी ज्योतिष बीते कई वर्षों से अध्ययन करते रहे हैं लेकिन अब जीव विज्ञान के एक सहायक प्राध्यापक जीव जंतुओं पर इसके प्रभाव को लेकर शोध में जुटे हैं। राजनांदगांव के दिग्विजय महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक माजिद अली बस्तर की डंकिनी शंखिनी नदी में ड्रेगन फ्लाई के लार्वा पर चंद्रग्रहण के दौरान पडऩे वाले प्रभाव को लेकर अध्ययन में जुटे हैं।

सहायक प्राध्यापक अली बीते पांच वर्ष से इस शोध कार्य में जुटे हैं। शोध का अंतिम परिणाम आना बाकी है लेकिन अभी तक मिले तथ्य के आधार पर वे मान रहे हैं कि सामान्य दिनों की अपेक्षा चंद्रग्रहण के दिन इनकी गतिविधियां दस गुना तक बढ़ जाती हैं। मूलत: राजनांदगांव के रहने वाले अली ने दंतेवाड़ा महाविद्यालय में पदस्थापना के दौरान डंकिनी शंखिनी नदी में ड्रेगन फ्लाई के लार्वा पर शोध शुरू किया था और अब राजनांदगांव के दिग्विजय महाविद्यालय में कार्य करने के दौरान भी उनका शोध जारी है।

बढ़ जाती है गतिविधियां

प्राध्यापक अली ने बताया कि ड्रेगन फ्राई का लार्वा नदी में पाए जाने वाला मांसाहारी जंतु है। शोध के दौरान पाया कि चंद्रग्रहण के दौरान इसकी गतिविधियों में अप्रत्याशित रूप से इजाफा हो जाता है। ड्रेगन फ्लाई को सामान्य भाषा में चिड्डा कहा जाता है।

ऐसे होता है अध्ययन
चंद्रग्रहण के एक दिन पूर्व से लेकर चंद्रग्रहण के दिन और फिर इसके बाद के दिन में यह अध्ययन किया जाता है। इन तीनों दिनों में नदी में जाल डालकर लार्वा निकालने का काम किया जाता है। पहले के दिन और बाद के दिन में लार्वा की गणना लगभग एक समान होती है लेकिन चंद्रग्रहण के दिन कई गुना बढ़ जाती है।
यह तथ्य भी सामने आया
चंद्रग्रहण के दौरान समुद्र में ज्वार आता है, इस कारण इस दौरान समुद्री जीव जंतुओं के व्यवहार में भी परिवर्तन होता है। सहायक प्राध्यापक अली ने बताया कि समुद्री जीव कॉम वर्म नेरिस की सक्रियता इस दौरान बढऩे का अध्ययन सामने आया है। उन्होंने बताया कि हालांकि भारत में जीव जंतुओं पर प्रभाव को लेकर इससे पहले ज्यादा शोध नहीं हुआ है लेकिन अमेरिका के पेन सिल्वेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बंदरों पर इसका अध्ययन किया है। २०१० में वहां हुए शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि चंद्र्रग्रहण के दिन बंदरों का व्यवहार असमान्य हो जाता है।

कैसे होता है चंद्रग्रहण
जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीध में होते हैं और सूर्य व चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तब चंद्रग्रहण पड़ता है। पृथ्वी से टकराकर रोशनी जब चंद्रमा में पड़ती है तो इस घटना को उम्ब्रा कहते हंै और इस दौरान रेड मून का दृश्य बनता है। पृथ्वी जैसे जैसे हटते जाती है तो रोशनी नीली होते जाती है और इसे ब्ल्यू मून का दृश्य बनता है। चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही होता है और कल २७ जुलाई को गुरूपूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण हो रहा है।

राजनांदगांव में 3 घंटा 55 मिनट दिखाई देखा चंद्रग्रहण
आषाढ़ पूर्णिमा 27 जुलाई शुक्रवार रात्रि को पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में दिखाई देगा। ग्रहण का प्रारंभ रात्रि 11.54 बजे से शुरू होगा। खग्रास चंद्रग्रहण (पूर्ण चंद्रग्रहण) का प्रारंभ रात्रि 1 बजे होगा। ग्रहण मध्य रात्रि 01.52 बजे होगा। पूर्ण चंद्रग्रहण (खग्रास) रात्रि 2.43 बजे समाप्त होगा। आगे ग्रहण उतरता हुआ दिखाई देगा और चंद्रग्रहण 28 जुलाई को सुबह 3.49 बजे पूर्णत: समाप्त (मोक्ष) होगा। राजनांदगांव में ग्रहण का पूर्ण काल 3 घंटा 55 मिनट होगा। यह ग्रहण संपूर्ण भारत के साथ ही एशिया, यूरोप, दक्षिण अमेरिका के मध्य व पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा।
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