चंद्रग्रहण के दौरान समुद्र में ज्वार आता है, इस कारण इस दौरान समुद्री जीव जंतुओं के व्यवहार में भी परिवर्तन होता है। सहायक प्राध्यापक अली ने बताया कि समुद्री जीव कॉम वर्म नेरिस की सक्रियता इस दौरान बढऩे का अध्ययन सामने आया है। उन्होंने बताया कि हालांकि भारत में जीव जंतुओं पर प्रभाव को लेकर इससे पहले ज्यादा शोध नहीं हुआ है लेकिन अमेरिका के पेन सिल्वेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बंदरों पर इसका अध्ययन किया है। २०१० में वहां हुए शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि चंद्र्रग्रहण के दिन बंदरों का व्यवहार असमान्य हो जाता है।
कैसे होता है चंद्रग्रहण
जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीध में होते हैं और सूर्य व चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तब चंद्रग्रहण पड़ता है। पृथ्वी से टकराकर रोशनी जब चंद्रमा में पड़ती है तो इस घटना को उम्ब्रा कहते हंै और इस दौरान रेड मून का दृश्य बनता है। पृथ्वी जैसे जैसे हटते जाती है तो रोशनी नीली होते जाती है और इसे ब्ल्यू मून का दृश्य बनता है। चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही होता है और कल २७ जुलाई को गुरूपूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण हो रहा है।
राजनांदगांव में 3 घंटा 55 मिनट दिखाई देखा चंद्रग्रहण
आषाढ़ पूर्णिमा 27 जुलाई शुक्रवार रात्रि को पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में दिखाई देगा। ग्रहण का प्रारंभ रात्रि 11.54 बजे से शुरू होगा। खग्रास चंद्रग्रहण (पूर्ण चंद्रग्रहण) का प्रारंभ रात्रि 1 बजे होगा। ग्रहण मध्य रात्रि 01.52 बजे होगा। पूर्ण चंद्रग्रहण (खग्रास) रात्रि 2.43 बजे समाप्त होगा। आगे ग्रहण उतरता हुआ दिखाई देगा और चंद्रग्रहण 28 जुलाई को सुबह 3.49 बजे पूर्णत: समाप्त (मोक्ष) होगा। राजनांदगांव में ग्रहण का पूर्ण काल 3 घंटा 55 मिनट होगा। यह ग्रहण संपूर्ण भारत के साथ ही एशिया, यूरोप, दक्षिण अमेरिका के मध्य व पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा।