scriptखूशबूदार पौधों की दुकानें बनीं लोगों के आकर्षण का केंद्र | The center of attraction for the people who made swanky plant shops | Patrika News

खूशबूदार पौधों की दुकानें बनीं लोगों के आकर्षण का केंद्र

locationराजनंदगांवPublished: Nov 20, 2018 04:42:58 pm

Submitted by:

Nakul Sinha

होती है शांति की अनुभूति

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दुकान… पौधों की दुकानें शहर में सजी हुई हैं।

राजनांदगांव / डोंगरगढ़. गोल बाजार बुधवारी पारा रेल्वे चौक में अलग-अलग रंगों के खुशबूदार गुलाब फूल व पौधों की दुकान लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। सुबह से ही घरों में गार्डनिंग व फूलों के पौधे लगाने वाले लोग अपनी पसंद के हिसाब से पौधे खरीदने पहुंच रहे हैं। समय के साथ-साथ लोग जागरूक हो रहे है जिसके चलते पौधे लगा रहे हैं जिसमें गुलाब की विभिन्न प्रजाति के पौधों के साथ सिजनेबल पौधे जैसे सफेद गैंदा, डहलिया, सेवंती, पिंटुनिया, सालविया, पैंथस, जरबेला के साथ-साथ फलदार पौधे अनार, नीबू, चीकू केला सहित अन्य पौधे देखने को मिल रहे हैं।
फूलों के प्रति लोगों की रूचि बढ़ी
कन्या शाला रोड निवासी उषा जंघेल, झरना लाउत्रे ने बताया कि उन्हें बचपन से ही फूलों का शौक है। ठंड में विभिन्न प्रकार के सीजनेबल फूलों की विभिन्न किस्में काफी मात्रा में बिकने आती है। इस मौसम में खासकर गेंदा, सेबंती के फूल काफी आकर्षक लगते है। फूल बेचने दुर्ग से आये मामा बंगाली ने बताया कि माई की नगरी में फूलों के प्रति रूचि रखने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ती जा रही है। प्रति सप्ताह उन्हें पौधे बेचकर दो से तीन हजार रूपये मिल जाते है।
खिले फूल देखकर होता है शांति का अनुभव
पर्यावरण प्रेमी एनआर देवांगन, गोकुलदास जंघेल ने बताया कि घर के गमलो के साथ-साथ घर के बचे प्लास्टिक के बेकार पड़े डिब्बों में मिट्टी भरकर फूलों के पौधे लगाये है व साथ ही आंगन में बनी क्यारियों में भी सिजनेबल फूलों के साथ-साथ सदाबहार फूलों की कई प्रजातियों के पौधों का रोपण किया गया है। देवांगन बताते है कि सुबह सोकर उठते ही खिले हुए फूलों को देखकर मन में शांति का अनुभव होता है इसलिए घरों में फूलों का होना स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभप्रद है।
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सैकड़ों वर्ष पुराना नीम का पेड़ धराशायी, जनहानि नहीं
डोंगरगढ़. नगर के समीप से बसे ग्राम पंचायत गाजमर्रा में मुख्य मार्ग के समीप आज नीम का सैकड़ों वर्ष पुराना पेड़ धराशायी हो गया। पेड़ ऊपर से तो हरा दिखाई देता था लेकिन नीचे से खोखला हो गया था, अपने ही आप पेड़ गिरने से कोई जनहानि तो नहीं हुई किंतु मार्ग जरूर अवरुद्ध हो गया जिसे पंचायत द्वारा जेसीबी की सहायता से अलग किया गया तत्पश्चात पेड़ को काटकर ले जाने वालों की होड़ लग गई। पेड़ गिरने की घटना गंभीर है। सड़क के किनारे अंग्रेजों के जमाने में चिचोला से लेकर खैरागढ़ बढईटोला तक नीम के पेड़ दोनों ओर बहुतायत में लगाए गए थे जो अब बहुत ही कम संख्या में बचे हैं।
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