राजनंदगांव

आलमारी में धूल खाते हुए पड़ी हैं स्पीड मापक की मशीनें

सड़क पर फर्राटे भर रहे वाहनों की स्पीड पर लगाम नहीं

राजनंदगांवFeb 22, 2019 / 04:00 pm

Nitin Dongre

आलमारी में धूल खाते हुए पड़ी हैं स्पीड मापक की मशीनें

राजनांदगांव. हाइवे पर अनियंत्रित रफ्तार से दौडऩे वाली गाडिय़ों की स्पीड पर लगाम लगाने के लिए यातायात विभाग को पुलिस मुख्यालय से लाखों रुपए की स्पीड मापक मशीन मिली हुई है, लेकिन यातायात विभाग इसका उपयोग नहीं कर पा रहा और मशीन आलमारी में धूल खाते पड़ी हैं।
मिली जानकारी अनुसार विभाग के पास दो मशीनें हैं। हाल ही में सालभर पहले भेजी गई मशीन करीब सात लाख रुपए की है। इन मशीनों का करीब सालभर से उपयोग नहीं हुआ है। इस वजह से बाइक सहित चार पहिया और अन्य गाडिय़ों की स्पीड पर लगाम नहीं लग पा रहा है। चालक बेखौफ होकर फर्राटे भर रहे हैं। परिणाम स्वरूप आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। बेकसूर अपनी जान गवां रहे हैं। साल दर साल सड़क हादसे में मौत के आंकड़े बढ़ रहे। २०१८ की ही बात करें तो सड़क दुर्घटना में २८६ लोगों ने जान गवां दिए हैं।
यातायात सप्ताह में ही जानकारी दी जाती है

इन आधुनिक मशीनों को ट्राइपॉड के सहारे सड़क पर रख दौड़ रही गाडिय़ों की स्पीड को करीब ८०० मीटर की दूरी से मापा जा सकता है। इस मशीन से प्रिंटर कनेक्ट होती है। गाड़ी की फोटो और उसकी रफ्तार को तत्काल पिंट कर देती है। इसके बाद यदि गाड़ी की स्पीड अधिक पाई जाती है, तो विभाग को चालानी कार्रवाई करनी है। लेकिन विभाग के अफसर व्यस्तता का हवाला देकर इस मशीन को आलमारी में रखे
हुए हैं। मशीन का उपयोग यातायात सप्ताह के दौरान प्रदर्शनी लगाने के रूप में होता है। इसी दौरान इसकी जानकारी भी दे दी जाती है।
कुछ समय से उपयोग नहीं कर रहे

विभाग के अफसरों का कहना है कि उनके पास बल की कमी है। लॉ-एन आर्डर का पालन कराने में ही बल का उपयोग हो जाता है। वीआईपी ड्यूटी और चुनावी समर होने के कारण पिछले कुछ समय से इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसे शहर के आउटर में सड़क पर लगाकर गाडिय़ों की स्पीड का पता लगाया जाता है। बताया जाता है कि महाराष्ट्र के चालक गाडिय़ों को बहुत तेज गति से चलाते हैं।
जवानों को देख सतर्क हो जाते है चालक

विभाग के अफसरों का यह भी कहना है कि सड़क पर ट्रैफिक का प्वाइंट देखकर चालक सतर्क हो जाते हैं। ऐसे में गाडिय़ों की स्पीड वे पहले ही कम कर लेते हैं। इस वजह से मशीन होने के बाद भी वे नियंत्रण नहीं कर पाते। यदि फाइन कर भी दिया जाता है, तो वे आगे निकलने के बाद तेज गति से गाडिय़ां चलाते हैं। ऐसे में लोगों को स्वयं जागरुक होकर अपनी गाडिय़ों को नियंत्रित स्पीड में चलानी चाहिए।
साल दर साल बढ़ रहे मौत के आंकड़े

साल दुर्घटना मृतक घायल
2016 846 211 931
2017 840 219 868
2018 905 286 962

जल्द ही सुधरवाया जाएगा

यातायात डीएसपी गजेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा है कि प्रिंटर खराब होने के कारण वर्तमान में इन मशीनों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। जल्द ही सुधरवाया जाएगा। इसके बाद इसका उपयोग कर कार्रवाई की जाएगी।

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