प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग में कहा कि बरसों पहले तिलक ने गणेशोत्सव के माध्यम से त्योहारों के माध्यम से जन जागरूकता को बढ़ावा देने की पहल की थी। आज तिलक की आत्मा जहां कहीं भी होगी, वहां से आपको आशीर्वाद दे रही होगी।
शांति ने प्रधानमंत्री को बताया कि छत्तीसगढ़ में कमरछठ का व्रत माताएं अपने संतान के दीर्घ और सुखद जीवन की कामना के लिए करती हैं। हमने कमरछठ के मौके पर ही महिलाओं को एक ऐसी थाली के बारे में बताया जिसमें विविध प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद हैं।
कमरछठ का पोषण संबंधी प्रयोग प्रधानमंत्री को बहुत पसंद आया। पहली बार राजनांदगांव जिले की कार्यकर्ता से बात करने पर उन्होंने इसकी प्रशंसा तो की ही, मध्यप्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से बातचीत करने के बाद भी पुन: उन्होंने कमरछठ का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पर्वों में एक समृद्ध जीवन शैली की झलक होती है। इसमें खानपान की विविधता भी होती है। इसे सुपोषण से जोडऩे की पहल बहुत अच्छी है।
शांति ने बताया कि उन्हें तथा सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और मितानिन दीदियों के लिए आज बहुत गौरव का क्षण है। प्रधानमंत्री ने हमारे कार्यों को सराहा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि देश के प्रधानमंत्री से बात करूंगी। प्रधानमंत्री ने न केवल हमारी बात सुनीं अपितु तालियां बजाकर हमारा उत्साहवर्धन भी किया। हम पूरे उत्साह से कुपोषण मुक्ति के कार्य करते रहेंगे।
शांति ने प्रधानमंत्री को बताया कि उनके यहां रक्षाबंधन त्योहार पोषण रक्षा सूत्र की तरह मनाया गया। हमने रक्षा सूत्र बांधकर बच्चों को पोषाहार खिलाने का संकल्प दिलाया। इसके साथ ही नियमित गृहभेंट के माध्यम से भी कुपोषित बच्चों पर नजर रखी और इनके डाइट के संबंध में घरवालों को बताया। इसका अच्छा लाभ हुआ और 10 बच्चे कुपोषण के दायरे से बाहर आ गए।