श्रम विभाग पूरी तरह मौन….
कुरावर हो या ब्यावरा, खिलचीपुर हो या सारंगपुर यहां के बस स्टैण्ड ऐसे बच्चे आसानी से देखे जा सकते हैं, जो बसों में अंदर आकर भीख मांगते हैं या फिर खड़ी गाडिय़ों के शीशे को खटखटाकर पैसों की मांग करते हैं।
यह सब यहीं नहीं रुकता। बड़े शहरों में हर चौराहे पर ऐसे बच्चे देखे जा सकते हैं। जिले की यदि बात करें तो यहां श्रम विभाग पूरी तरह मौन है।
उसकी तरफ से बाल मजदूरी को लेकर कोई कार्रवाई नहीं होती। रही सही कसर महिला बाल विकास द्वारा पूरी हो जाती है। जहां ऐसे बच्चों को कभी भी आंगनबाड़ी या फिर शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल आने के लिए प्रेरित नहीं किया जाता।
कई तरह की संस्थाएं कर रही काम….
बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए जहां शिक्षा, श्रम और महिला बाल विकास जैसे विभाग संचालित हो रहे हैं।
वहीं इनके अधिकारों के लिए कई स्वंयसेवी संस्थाएं भी काम कर रही है। इनकी तरफ से साल में एक या दो बार ही कोई कार्रवाई नजर आती है। अधिकांश संस्थाएं कागजों में ही सिमटी हुई हैं।
सबूत देने के बाद भी चुप्पी साध लेते हैं….
जिले के कुछ गांव ऐसे हैं जहां बच्चों को गलत कार्यों में लगाने की ट्रेनिंग तक दी जाती है। पूरे देश में जिले के बच्चे इन गतिविधियों में लिप्त होकर मिलते रहते हैं।
खुद पीडि़त बच्चा अपनी पूरी कहानी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के सामने रख चुका है, लेकिन बच्चे को ऐसी ट्रेनिंग से छुटकारा मिले और वे इन गलत कामों को छोड़ें। ऐसे कोई प्रयास प्रशासनिक स्तर पर नजर नहीं आते।
बाल मजदूरी से संबबंधित दो शिकायतें प्राप्त हुई थीं इनमें कार्रवाई की गई थी। लंबे समय से ऐसी कोई जानकारी या शिकायत नहीं मिली है। फिर भी यदि ऐसे मामले आते हैं तो विभाग तुरंत कार्रवाई करता आया है।
राहुल पटेल, लेबर इंस्पेक्टर राजगढ़