दरअसल, जिस जनरेटर की मार्केट दर तीन सौ रुपए रोज है उसके एक हजार रुपए रोजाना सिविल अस्पताल ब्यावरा में दिए जा रहे हैं। बंद पड़े और अनुपयोगी जनरेटर का किराया देने वाला स्वास्थ्य विभाग बंद और खराब पड़े जनरेटर को ठीक नहीं करवा पा रहा है। विभाग की इस बड़ी लापरवाही की ओर न किसी जिम्मेदार का ध्यान है न ही कोई इसका जिम्मा लेना चाहता। बता दें कि सितंबर के पहले सप्ताह में सीआरएम की टीम जिले में थी, तभी से अस्पताल में यह जनरेट महज शो-पीस बना हुआ है।
बिजली का तर्क देकर काम से बचते हैं डॉक्टर्स
वैसे तो ब्यावरा अस्पातल में विशेषज्ञ और क्लास वन डॉक्टर्स हैं, लेकिन कभी एनेस्थैटिक तो कभी बिजली गुल होना या कभी जनरेटर खराब होने का बहाना बनाकर करीब छह माह से न सीजर कर पाए हैं न ही सर्जरी। हालांकि शासन के रिकॉर्ड में ब्यावरा अस्पताल के सीजर, सर्जरी की स्थिति बेहद दयनीय है। उल्लेखनीय है कि उक्तविशेषज्ञ डॉक्टर्स, क्वास-वन को ओपीडी में बैठने में भी काफी दिक्कत है।
वैसे तो ब्यावरा अस्पातल में विशेषज्ञ और क्लास वन डॉक्टर्स हैं, लेकिन कभी एनेस्थैटिक तो कभी बिजली गुल होना या कभी जनरेटर खराब होने का बहाना बनाकर करीब छह माह से न सीजर कर पाए हैं न ही सर्जरी। हालांकि शासन के रिकॉर्ड में ब्यावरा अस्पताल के सीजर, सर्जरी की स्थिति बेहद दयनीय है। उल्लेखनीय है कि उक्तविशेषज्ञ डॉक्टर्स, क्वास-वन को ओपीडी में बैठने में भी काफी दिक्कत है।
अन्य सामान के बनते हैं मनमाने बिल
स्वास्थ्य विभाग के हालात यह हैं कि यहां लाई जाने वाली सामग्री हो या जनरेटर, बिजली सहित अन्य सामान के बिल, किसी का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता। अकाउंट्स डिपार्टमेंट की मनामानी किसी से छिपी नहीं है, स्टॉफ को एक छुट्टी सेंक्शन करवाने या अन्य काम में पसीने छूट जाते हैं। कोई भी काम बिना पैसे के नहीं हो पाता।अकाउंट्स के कर्मचारियों और बाबुओं की मनमानी की चपेट में आ चुके स्वास्थ्य विभाग को हर कोई चूना लगाने में जुटा है।
स्वास्थ्य विभाग के हालात यह हैं कि यहां लाई जाने वाली सामग्री हो या जनरेटर, बिजली सहित अन्य सामान के बिल, किसी का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता। अकाउंट्स डिपार्टमेंट की मनामानी किसी से छिपी नहीं है, स्टॉफ को एक छुट्टी सेंक्शन करवाने या अन्य काम में पसीने छूट जाते हैं। कोई भी काम बिना पैसे के नहीं हो पाता।अकाउंट्स के कर्मचारियों और बाबुओं की मनमानी की चपेट में आ चुके स्वास्थ्य विभाग को हर कोई चूना लगाने में जुटा है।
सिविल अस्पताल के वित्तीय प्रभारी डॉ. आरजी कौशल से सीधी-बात
सवाल : ब्यावरा अस्पताल में किराए का जनरेटर क्यों रखा है?
जवाब : सीआरएम टीम के सामने कोई दिक्कत न आए इसलिए जनरेटर लाया गया था।
सवाल : कितना किराया है उसका, क्या रोज उपयोग है?
जवाब : एक हजार रुपए रोज किराया है, उपयोग है या नहीं यह पता नहीं?
सवाल : ऐसा जनरेटर तो दो से तीन सौ रुपए रोज में मिल जाता है फिर एक हजार किस बात के दे रहे हैं आप?
जवाब : यह मुझे नहीं पता, मैं वहां के बाबू अनवर से पूछता हूं उसी ने किराए से जनरेटर किया था, क्यों अभी तक पड़ा है पूछता हूं।
सवाल : ब्यावरा अस्पताल में किराए का जनरेटर क्यों रखा है?
जवाब : सीआरएम टीम के सामने कोई दिक्कत न आए इसलिए जनरेटर लाया गया था।
सवाल : कितना किराया है उसका, क्या रोज उपयोग है?
जवाब : एक हजार रुपए रोज किराया है, उपयोग है या नहीं यह पता नहीं?
सवाल : ऐसा जनरेटर तो दो से तीन सौ रुपए रोज में मिल जाता है फिर एक हजार किस बात के दे रहे हैं आप?
जवाब : यह मुझे नहीं पता, मैं वहां के बाबू अनवर से पूछता हूं उसी ने किराए से जनरेटर किया था, क्यों अभी तक पड़ा है पूछता हूं।