ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सफाई के और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में ऐसी स्थितियां बनी है। कुएं, बावड़ी, टंकियों में कभी फिटकरी नहीं डाली गई, नालियों के पानी का निकास नहीं हो पाया। घरों के सामने ही जमा रहने वाली गंदगी इस बीमारी के प्रकोप का करण बन रही है। उल्लेखनीय है कि पहले भी गांव भूरा में दो डेंगू और एक चिकनगुनिया का मरीज मिला था। अधिकतर केस इसलिए भी बिगड़ रहे हैं कि उन्हें न प्रायमरी ट्रीटमेंट सही मिल पा रहा है न ही ब्यावरा के अस्पतालों में है। ग्रामीण गांव में ही आने वाले झोलाछाप डॉक्टर्स से उपचार करवाते हैं। बिगड़े केस को वे ब्यावरा भेज देते हैं, फिर यहां के झोलाछाप उनसे मनमाने रुपए एठते हैं।
मामला-1 : एक लाख से ऊपर खर्च
करीब 15 दिन से इंदौर के निजी अस्पताल में कमलेश पिता रामचरण दांगी अभी तक उपचार के लिए एक लाख रुपए से अधिक खर्च कर चुके हैं। पहले उन्होंने स्थानीय उपचार करवाया, राहत नहीं मिली तो उन्हें रेफर कर दिया गया। यहां डॉक्टर्स ने उन्हें डेंगू की पुष्टि की।
मामला-2 : 25 हजार से ज्यादा खर्च
सामान्य बुखार के बाद शिवनारायण पिता प्रभुलाल दांगी को पहले ब्यावरा और बाद में भोपाल ले जाया गया, जहां अभी तक 25 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं। उन्हें भी डॉक्टर्स ने डेंगू की पुष्टि की। अब वे लौट आए हैं। स्थानीय उपचार करवाया गया लेकिन आराम नहीं हुआ था।
मामला-3: 20 हजार खर्च, रुपए नही बचे तो घर ले गए
60 वर्षीय हीराबाई को पेट दर्द और बुखार के बाद ब्यावरा के निजी नर्सिंग होम ले गए थे। यहां करीब 20 हजार खर्च के बाद डॉक्टर्स ने डेंगू का कह दिया और बाहर ले जाने को कहा। पहले उन्होंने एक सीनियर सरकारी डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने कहा मेरे बस का नहीं। वह निजी अस्पताल पहुंचा, यहां रुपए खत्म हुए तो घर लेकर आ गए।
चार साल का बच्चा भी चपेट में
उक्त बुखार अब फैलने लगा है। यहां के बड़े, बूढ़ों, युवाओं के साथ ही बच्चे भी इसकी चपेट में आ गए हैं। चार साल के आर्यन पिता जगदीश का उपचार भी इंदौर के एक निजी अस्पताल में किया जा रहा है, जिस पर हजारों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। गांव की ही बादाम बाई पति मांगीलाल (५९), रमेश पिता राम चरण(३५), रामबगस पिता कनीराम (५०) और रामनारायण (३०) सहित अन्य लोग बुखार की चपेट में है।
न टीम पहुंची ना लिया लार्वा
स्वास्थ्य विभाग को डेंगू की पुष्टि होने के बाद अलर्ट रिपोर्ट एक दिन पहले ही भेजी जा चुकी है लेकिन सुठालिया, ब्यावरा और जिला चिकित्सालय से कोई टीम या कोई जिम्मेदार न जांच के लिए पहुंचे न ही कोई लार्वा लिया। सुठालिया सबसे नजदीक होने के बावजूद दोपहर तक कोईन हीं पहुंच पाया।
हमने टीम रात में ही भेज दी थी, सुबह फिर से फॉलोअप के लिए टीम को भेजा है। पूरी जांच, लार्वा सर्वे के बाद रिपोर्ट ली जाएगी। तमाम लोगों के सेंपल लेकर अलग-अलग जांच भी करवाएंगे।
-डॉ. विजयसिंह, सीएमएचओ, राजगढ़