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पारा लुढ़कने से धनिए को खतरा, बाकी उपज पर भी बढ़ रहा संकट

locationराजगढ़Published: Jan 15, 2019 11:29:52 pm

Submitted by:

Praveen tamrakar

पारा लुढ़कने से फिजा में ठंडक घुल गई इस ठंडे मौसम का असर फसलों पर भी पड़ रहा है

patrika news

Beaua. In Dhaniya, it is very difficult to kill the cold and the flowers, it also gets water.

ब्यावरा. दो-तीन दिन से चल रही ठंडी हवा और पारा लुढ़कने से फिजा में ठंडक घुल गई। इस ठंडे मौसम का असर फसलों पर भी पड़ रहा है। यदि ऐसे ही हालात रहे तो रबी की प्रमुख उपज में शामिल धनिया, चना, गेहूं, मसूर, सरसों पर भी इसका व्यापक असर होगा।

धनिए में फूल मार होती है और बाकी की उपज भी झुलस जाती है। दरअसल, जनवरी के पहले सप्ताह में अचानक लुढ़के पारे से जिले में कई हिस्सों में धनिया जल गया था। करीब 15 से 20 प्रतिशत का नुकसान भी किसानों को हुआ था। अब फिर से ठंडक बढऩे से धनिए पर खतरा मंडरा रहा है। बीती रात कुछ हद तक धनिये को नुकसान हुआ है। ठंडक बढऩे से गेहूं, चने में भी नुकसान होता है। साथ ही पाला पडऩे से धनिए के जलने, बांकडिय़ा रोग लगने सहित पीलेपन की शिकायत इससे होती है। हालांकि प्रॉपर कीटोपचार से किसान इसका समाधान जुटाते हैं, लेकिन लगातार ठंडक से कई बार दवाइयां भी काम नहीं करतीं। नमी अत्यधिक हो जाने से न सिर्फ फसल जलती है, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। हालांकि जानकारों की मानें तो जनवरी के आखिरी सप्ताह तक ठंडक बढऩे के आसार हैं, यदि इन दिनों में फसलें बच गईं तो ठीक वरना नुकसान हो सकता है।

पानी भरपूर फिर भी नहीं बढ़ा रकबा
जीरापुर, माचलपुर, कुरावर, सुठालिया, ब्यावरा, सारंगपर, पचोर, खुजनेर को छोड़कर बाकी जगह किसान धनिए में रुचि नहीं दिखाते। बेहतर बारिश और भरपूर पानी के बावजूद धनिए से किसान बचते हैं। ठंड में अकसर खराब होने की परेशानी धनिए की उपज में होती है। दिसंबर-जनवरी में बोए जाने वाले धनिए पर इतना खतरा नहीं रहता, लेकिन सितंबर-अक्टूबर में ही निवृत्त हो जाने वाले खेतों में जल्दी ही बुआई करना होती है। ऐसे में किसान वैकल्पिक तौर पर गेहूं, चना, मसूर, सरसों इत्यादि की ओर रुख करते हैं। पिछले साल करीब 75 हजार हेक्टेयर में धनिए की बोवनी की गई थी जो कि इस बार भी इसके आस-पास ही है।

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