वे शुक्रवार को राजगढ़ के खिलचीपुर और गुना संसदीय क्षेत्र के पिपरई में चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे थे। शाह ने खिलचीपुर में दिग्विजय सिंह को राम मंदिर समेत कई मुद्दों पर घेरा। वे बोले- राजगढ़ की जनता ने उन्हें जिताया, पर वे भोपाल चले गए। राजगढ़ में कुछ नहीं किया। उन्हें परमानेंट विदाई की जरूरत है। विदाई अच्छे से देना है। शाह बोले- आशिक का जनाजा है, जरा धूम से निकले। इतनी लीड से हराओ कि दोबारा राजनीति में न आएं। संन्यास ले लें।
शाह ने कहा, दिग्विजय काल में नक्सलवाद को बढ़ावा मिला। भाजपा सरकार ने इसे खत्म किया है। प्रदेश को बीमारू राज्य बनाने में दिग्विजय का बड़ा हाथ रहा, इसलिए जनता ने उनका नाम बंटाधार रख दिया।
केपी यादव का जिक्र
गुना संसदीय क्षेत्र में शाह ने सांसद डॉ. केपी यादव का जिक्र कर यादवों को साधने की कोशिश की। बोले- केपी की चिंता आप मुझ पर छोड़ दो। गुना को दो नेता सिंधिया और केपी मिलेंगे। बता दें, पिछले चुनाव में यहां से कांग्रेस में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा के केपी ने हराया था। दोनों में मनमुटाव चल रहा है। यादव वोटों को लामबंद करने कांग्रेस ने यहां राव यादवेंद्र सिंह यादव को उतारा है। अमित शाह ने क्या बोला, उसे अभी पूरे तरीके से नहीं सुना है। लेकिन जिस अशोभनीय भाषा का उपयोग किया, उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है। उस पर कुछ नहीं कहना। -दिग्विजय सिंह, कांग्रेस प्रत्याशी राजगढ़
जीतू पटवारी ने साधा निशाना
इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक्स पर लिखा-झूठ के ‘जनाजे’ को, शिद्दत से ढो रहे हैं! लोकतंत्र की हत्या कर सच में रो रहे हैं!