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जयपुर

‘गहलोत ने गैर कानूनी तरीके से करवाये फोन टैप’ राठौड़ ने CM भजनलाल से उच्च स्तरीय जांच की रखी मांग

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा के फोन टैपिंग को लेकर दावों के बाद अब भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है।

जयपुरApr 26, 2024 / 02:44 pm

Lokendra Sainger

राजस्थान में लोकसभा चुनाव को लेकर दूसरे चरण के मतदान के बीच फोन टैपिंग के मामले ने फिर तूल पकड़ लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा के फोन टैपिंग को लेकर दावों के बाद अब भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर इस षड्यंत्र में शामिल आकाओं के साथ तत्कालीन प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए।
लोकेश शर्मा ने दो दिन पहले फोन टैपिंग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि मुझे अशोक गहलोत ने पैन ड्राइव में कॉल रिकार्डिंग दी थी। जिसमें कथित तौर पर गजेंद्र सिंह शेखावत और स्वर्गीय भंवर सिंह के बीच बातचीत थी। जिसके बाद अब भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने सीएम भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है।
भाजपा नेता राजेद्र राठौड़ ने सीएम भजनलाल शर्मा को पत्र लिख कहा कि ‘2020 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत के पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा द्वारा दो दिन पूर्व 24 अप्रैल को चुने हुए जनप्रतिनिधियां के फोन टैपिंग से जुड़े प्रकरण को लेकर किये गये खुलासे की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। जिसमें पूर्व ओएसडी ने मीडिया के समक्ष तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर जो गंभीर आरोप लगाये हैं उससे स्पष्ट तौर पर प्रमाणित हो रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तत्समय उच्चपदस्थ अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर संविधान प्रदत अपनी शक्तियाँ का दुरुपयोग करते हुए कानून व नियमों की धज्जियां उड़ाई और सरकारी एजेंसियों पर बेजा दवाव बनाकर अवैधानिक ढंग से जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करवाये। पूर्व ओएसडी के द्वारा मानेसर गये कांग्रेस सरकार में पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट सहित उनके करीब 9 सहयोगी विधायकों के फोन टैप करवाये जाने का प्रमाण देना और स्वीकार करना अत्यन्त गंभीर प्रकरण है।
यह दुर्भाग्य की बात है कि मुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार एवं संवैधानिक पद पर रहते हुए अशोक गहलोत द्वारा ना केवल गैर कानूनी तरीके से फोन टैप करवाये गये अपितु पुलिस प्रशासन की पूरी मशीनरी का भी दुरुपयोग किया गया। अवैध फोन टैप के इस षड॒यंत्र में उच्च पदस्थ प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिस अधिकारी शामिल्र थे जो आज भी उच्च पर्दों पर पदस्थापित है। अतः इस संबंध में उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा निष्पक्ष जांच करवाकर इनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की दरकार हैं।
मैं आपका ध्यान इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 885 की धारा 5 (2) एवं नियमों की ओर आकर्षित करना चाहता हूं जिसके अनुसार देश की अखण्डता, सम्प्रभुता या जन सुक्षा, गंभीर अपराध कारित किये जाने की संभावनाओं में या पड़ोसी देश के मित्रवत रिश्तों में संभावित रूकावट इत्यादि को देखते हुए केन्द्र सरकार या राज्य सरकार लिखित में कारणों का उल्लेख करते हुए प्राधिकृत अधिकारी किसी भी संदेश या टेलीफोन को इंटरसेप्ट कर सकेगा। यानी विधिक कानूनी प्रक्रिया अपनाकर और सक्षम स्तर से अनुमति के उपरांत ही टेलीफोन रिकॉर्डिंग की जा सकती है। लेकिन विगत कांग्रेस सरकार के समय जो फोन टैपिंग की प्रक्रिया अपनाई गई उसमें कहीं भी यह नही लगता कि देश की अखण्डता, सम्प्रभुता या जन सुरक्षा का गंभीर अपराध कारित किये जाने की संभावना रही।
यह फोन टैपिंग तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपने धुर विरोधियों की बातचीत को सुनने के लिए ही करवाये थे। टेलीफोन या मैसेज को इंटरसेप्ट किसके आदेश से किस रीति से किया जा सकता है, इसका विस्तृत उल्लेख ॥0भ ९९8०॥ ९५॥९ 95 में भी विस्तृत रूप से है जिसका भी उल्लंघन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किया। संविधान के अनुच्छेद 2 के अनुसार व्यक्ति का जीवन, आचरण, निजता (?/४००) की पूर्ण स्वतंत्रता उसका संवैधानिक अधिकार है। आम आदमी की निजता में दखल उसके मौलिक अधिकार में दखल है।
माननीय उच्चतम न्यायालय ने पी.यूसी.एल. बनाम भारत संघ (997) मैँ दिये गये निर्णय में एकांतता के अधिकार की विस्तृत विवेचना करते हुए कहा कि “एकांतता का अधिकार भी एक मौलिक अधिकार के समान ही जिसमें किसी का फोन टेप करने की अनुज्ञा नहीं की जा सकती हैं और अगर किसी का फोन विधि विरुद्ध टेप किया जाता है तो वह उसकी निजता के मौलिक अधिकार पर अतिक्रमण की श्रेणी में आता है।” यानी किसी भी व्यक्ति का विधि विरूद्ध फोन टेप किया जाना उसको संविधान प्रदत्त निजता के अधिकारों का खुला हनन है।
विगत कांग्रेस सरकार तथा उच्च पदों पर पदस्थ पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों द्वारा षड़॒यंत्र पूर्वक इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 885, इंडियन टेलीग्राफ रुल्स 95, संविधान के अनुच्छेद 2 एवं माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णयों की खुलकर धज्जियां उड़ाई और संवैधानिक प्रक्रियाओं व नियमों को ताक पर रखने का काम किया। अब यक्ष प्रश्न यह है कि किसकी अनुमति व किन अधिकारियों ने अपने आकाओं को खुश करने के लिए जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करवाये ? क्‍या फोन टैपिंग प्रक्रिया में तमाम संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया गया था? इस सबकी उच्च स्तरीय जांच होना आवश्यक है जिससे दोषियों के खिलाफ समुचित कार्रवाई हो सके।
अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के पूर्व ओएसडी ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर फोन टैपिंग के जो गंभीर आरोप लगाये हैं उसके लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर इस षड॒यंत्र में शामिल आकाओं के साथ तत्कालीन उच्च पदस्थ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों जिनकी प्रथम दृष्टया संलिप्तता अब उजागर हो गई है, के विरुद्ध शीघ्र उच्च स्तरीय जांच करवाकर आवश्यक कार्रवाई करवायें।’

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