ऐसे ही गुरुवार को हार्टअटैक के मरीज को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से भोपाल रेफर किया गया, लेकिन 108 एम्बुलेंस जिला अस्पताल से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर खराब हो गई थी, फिर दूसरी 108 एम्बुलेंस को बुलाकर उसे भोपाल रवाना किया गया।
इसी तरह रायसेन में एक और 108 एम्बुलेंस पिछले दस दिन से बीमार खड़ी हुई है। जिसका इंजन बस स्टैंड के पास स्थित एक गैरेज में रिपेयर किया जा रहा है।
पुराने वाहनों के भरोसे
108 एम्बुलेंस क्रमांक एमपी 02 एवी 4922 का रजिस्ट्रेशन 14 जून 2013 का है, जो 5 वर्ष पुराना है। इसी तरह एम्बुलेंस क्रमांक एमपी 02 एवी 4156 जिसका रजिस्ट्रेशन 04 जुलाई 2012 का यानी 6 साल पुराना है। एम्बुलेंस क्रमांक एमपी 02 एवी 4533 का रजिस्ट्रेशन 27 सितम्बर 2012 का 6 साल पुराना है। इसी तरह जिले में 108 एम्बुलेंस सेवा के वाहन काफी पुराने चलाए जा रहे हैं। जबकि नियमानुसार एंबुलेंस वाहन दो साल से अधिक पुराने नहीं होना चाहिए। हालाकि कुछ एम्बुलेंस नई भी है। वहीं जननी एक्सप्रेस सेवा की भी लगातार शिकायत मिल रही है।
नाराजगी जताई
उदयपुरा विधायक रामकिशन पटेल ने 19 जुलाई को रायसेन कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बैठक के दौरान जननी एक्सप्रेस वाहन की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी।
बैठक के दौरान जिले के प्रभारी मंत्री एवं 2 मंत्रियों के सामने जननी एक्सप्रेस के न पहुंचने का मामला उठाते हुए चिंता जाहिर की थी। कहा था कि जननी एक्सप्रेस के ना पहुंचने की वजह से बसों व अन्य वाहन सहित रास्ते में डिलेवरी हो रही है और अपनी लापरवाही छिपाने के लिए होम डिलेवरी बता दिया जाता है, जिससे महिलाओं को संस्थागत प्रसव एवं संबल योजना का लाभ तक नहीं मिल पा रहा है।
एम्बुलेंस सेवा का संचालन प्रायवेट कंपनी जिगित्सा हेल्थ केयर द्वारा किया जा रहा है। हम एंबुलेंस संचालन की जानकारी लेते रहते हैं। वैसे 2 साल से ज्यादा पुरानी एम्बुलेंस नहीं चलना चाहिए। अगर पुरानी है तो हम जांच करवा लेते हंै।
दिलीप कुमार कटेलिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रायसेन
रायसेन. अब जिला चिकित्सालय रायसेन में आने वाले मरीजों को आज से ई-हॉस्पिटल सुविधा का लाभ मिलने लगेगा। ई-हॉस्पिटल के तहत हर मरीज का यूनिक आईडी बनेगी। पंजीकृत नए मरीज को अपाइंटमेंट के साथ यूएचआईडी, एकमात्र स्वास्थ्य पहचान अंक भी दिया जाएगा। ओपीडी और आईपीडी में किस मरीज का क्या ईलाज किया गया, यह ऑनलाईन दर्ज होगा। अभी तक ये रिपोर्ट मैनुअल बनती है। डिस्चार्ज होने के बाद मरीज का डाटा वेबसाईट पर लांच किया जाएगा। हर सप्ताह कार्य की प्रगति भी उच्च अधिकारियों द्वारा देखी जाएगी।