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स्कूली बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़, 9 दिन बाद भी पूरी नहीं हुई वाहनों की जांच

locationरायसेनPublished: Jul 04, 2019 03:01:17 pm

Submitted by:

Amit Mishra

अब तक दस चालकों के लाइसेंस, तीन बसों की फिटनेस निरस्त

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स्कूली बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़, 9 दिन बाद भी पूरी नहीं हुई वाहनों की जांच

रायसेन. यदि पूर्व के सात या आठ महीनों की बात की जाए तो इन दिनों कंडम और अनफिट वाहनों school bus के कारण हुई दुर्घटनाओं accidents में अनेक निर्दोष लोग काल के गाल में समा चुके हैं। मगर यहां बात उन छोटे-छोटे नौनिहालों की है, जिन्हें उनकी मां सुबह तैयार कर स्कूल भेजती है और उनके सकुशल घर आने का इंतजार करती है। जी हां, मगर न तो परिवहन विभाग parivahan vibhag और न ही पुलिस इन नौनिहालों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है।

ये इसी बात से समझा जा सकता है कि जिला परिवहन विभाग के अमले और सिटी ट्रैफिक इंचार्ज गोविंद मेहरा व यातायात पुलिस के जवानों ने 17 जून से स्कूल बसों की जांच करने विशेष अभियान चलाया था, लेकिन स्कूल खुलने के नौ दिनों के बाद भी बसें व अन्य स्कूल वाहन जिला परिवहन कार्यालय फिटनेस की जांच कराने नहीं पहुंचीं, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है। गौरतलब है कि शिक्षण सत्र शुरू होने से पहले यातायात पुलिस जिले की स्कूल बसों व अन्य स्कूल वाहनों की फि टनेस की जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जिलेभर के सभी स्कू ल बसों की फिटनेस जांच अनिवार्य रूप से कराना है।

अब तक ये हुई कार्रवाई
नया शिक्षा सत्र शुरू हुए 8 दिन बीत चुके हैं, लेकिन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक की स्थिति में मात्र 30 बसें व अन्य वाहन ही फिटनेस जांच कराने पहुंचे हैं। कमियां पाए जाने पर इन स्कूल वाहनों से आरटीओ रीतेश तिवारी द्वारा 38 हजार रुपए जुर्माना वसूला गया है। 10 स्कूल वाहन चालकों के लाइसेंस निरस्त करने की कार्यवाई की है। जबकि तीन बसों की फिटनेस निरस्त की है। शेष स्कूल बसें व अन्य चार पहिया वाहन फि टनेस जांच कराने पहुंचे ही नहीं है। यातायात विभाग ने स्कूल संचालकों को नोटिस जारी कर तत्काल बसों को फिटनेस जांच कराने के लिए भेजने को कहा है।


ये है असलियत
शासन के आदेशानुसार स्कूल बसों में जीपीएस, स्पीड गवर्नर और सीसीटीवी कैमरे लगे होना चाहिए, लेकिन असलियत ये है कि जिले में अधिकतर स्कूल बसों में कैमरे, जीपीएस और स्पीड गवर्नर नहीं लगे हैं। लगे भी हैं तो दिखावे के लिए। कई बस संचालकों ने डमी कैमरे लगाकर विभाग को गुमराह किया है, जिनकी कोई रिकॉर्डिंग नहीं होती है।

हालात ये भी
कई स्कूलों में जर्जर बसें लगी हुई हैं। कई बार तो ऐसी बसें रास्ते में बंद भी हो जाती हैं। जिन्हें स्कूल के ब”ो धक्का लगाते हैं। बुधवार को ही औबेदुल्लागंज में एक निजी स्कूल की बस बीच रास्ते में बंद हो गई थी, जिसे स्कूल के बच्चों ने धक्का लगाया।


मैजिक, वेन और ऑटो अनगिनत
बसों के अलावा स्कूली बच्चों को ढोने के काम में वेन, ऑटो, मैजिक जैसे छोटे वाहनों की संख्या अनगिनत है। इनकी जांच के कोई मापदंड तय नहीं हैं। न ही इन वाहनों के लिए कोई गाइड लाइन है। स्पीड गवर्नर, कैमरे आदि ऐसे वाहनों के लिए जरूरी नहीं किए गए हैं, जबकि ऐसे वाहनों से ही 75 फीसदी बच्चे स्कूल जाते हैं।

 

बड़ी संख्या में हैं स्कूल वाहन
स्कूल संचालकों को बसों की फिटनेस जांच अनिवार्य रूप से शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले कराने कहा गया था, लेकिन स्कूल संचालक इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। परिवहन विभाग के अनुसार जिले में 100 स्कूल बसें रजिस्टर्ड हैं। लेकिन अब तक मात्र 30 बसें ही फिटनेस जांच कराने पहुंची हैं। 30 बसों की जांच में पाया गया था कि बसों के परमिट, फिटनेस ही नहीं हैं। इन्हें एक सप्ताह में परमिट बनवाने का अल्टीमेटम दिया गया था, लेकिन समय-सीमा बीतने के बावजूद अब तक परमिट नहीं बन पाया है।


बसों की जांच में होता है ये परीक्षण
निजी स्कूल बसों की जांच में फिटनेस के अलावा स्पीड गवर्नर, जीपीएस सिस्टम, अग्निशमन यंत्र, फस्र्टएड बॉक्स, सीसीटीवी कैमरा, खिड़कियों में जाली, विन्डों में ग्रिल आदि का परीक्षण किया जाता है। इसके अलावा बसों का परमिट, रोड टैक्स, बीमा और चालकों का लाइसेंस आदि का भी बारीकी से परीक्षण किया जाता है।

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