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मिलिए अनोखे व्यक्ति से, ब्लाइंड होकर भी करते हैं पूरे काम, देखने वाले भी हो जाते हैं हैरान

locationरायसेनPublished: Feb 07, 2019 06:29:11 pm

Submitted by:

Manish Gite

लिए अनोखे व्यक्ति से, ब्लाइंड होकर भी करते हैं पूरे काम, देखने वाले भी हो जाते हैं हैरान

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Meet the 27 Year Old Blind Indian Man narayan sharma

 

प्रवीण श्रीवास्तव
रायसेन। यदि व्यक्ति की इच्छा शक्ति मजबूत हो और कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो शरीर की कोई भी कमजोरी उसकी राह में बाधा नहीं बन सकती है। यह कर दिखाया है, जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में पदस्थ नारायण शर्मा ने। जो बचपन से नेत्रहीन हैं, लेकिन इसे कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनाकर शर्मा ने अपने पैरों खड़े होकर जीवन जीने का संकल्प लिया। इसी जज्बे के चलते आज वे एक शासकीय कर्मचारी और संगीत के बड़े कलाकार हैं।

 

भिंड जिले के ग्राम कनावर निवासी 27 वर्षीय नारायण शर्मा बताते हैं कि बचपन से ही उनकी आंखों में रोशनी नहीं है। संगीत में रुचि रखने वाले उनके पिता ने उन्हें हौंसला दिया और ग्वालियर घराने की संगीत शिक्षा दिलाई। नारायण की मेहनत और रुचि ने भी कमाल किया और उन्होंने संगीत में प्रभाकर की उपाधि प्राप्त की। साथ ही ब्रेल लिपि से पढ़ाई जारी रखी। अब संस्थान के शिक्षकों की मदद से अंग्रेजी सीख रहे हैं। शर्मा ने बताया कि उन्होंने दस वर्ष की आयु में पिता रूपनारायण शर्मा की प्रेरणा से संगीत सीखना शुरू किया था।

ऐसे पहुंचे रायसेन
दो साल पहले विकलांग कोटे के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती निकली थी। नारायण शर्मा ने इस पद के लिए आवेदन किया और सिलेक्टर होकर रायसेन के जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान में नौकरी शुरू की। यहां वे संस्थान के विद्यार्थियों को संगीत सिखाने के साथ ड्यूटी के समय एक आम और स्वस्थ व्यक्ति की तरह अपनी सारी जिम्मेदारियां निभातें हैं। संस्थान के स्टॉफ को यह महसूस नहीं होने देते कि वे किसी तरह से कमजोर हैं।

 

परफेक्शन से करते हैं हर काम
– नारायण शर्मा आंखों से लाचार हैं, ऐसा हमने कभी महसूस नहीं किया। वे हर काम आम आदमी की तरह करते हैं। चाबी का गुच्छा लेकर किसी भी कक्ष का ताला एक मिनट में खेल देते हैं। आफिस के सभी काम करते हैं।
संगीता महाजन, प्रोफेसर डाइट

– नारायण शर्मा अद्भुत व्यक्ति हैं। वे अपना और आफिस का काम बहुत ही सहज ढंग से करते हैं, यहां तक कि अपना भोजन खुद गर्म करते, चाय बनाकर पीते हैं। उनको देखकर नहीं लगता कि वे आंखों से दिव्यांग हैं। उनका हौसला गजब का है।
-अजय सक्सेना, प्रोफेसर डाइट

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