scriptबच्चों को संस्कारवान बनाना जरूरी है: मुनि आस्तिक सागर | It is necessary to make children virtuous: Muni Aastik Sagar | Patrika News

बच्चों को संस्कारवान बनाना जरूरी है: मुनि आस्तिक सागर

locationरायसेनPublished: Jun 16, 2019 10:55:22 pm

बच्चों में बचपन से ही संस्कारों का बीजारोपण किया जाना चाहिए।

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Silvani Sanskars should be planted in children from childhood. The rites given in childhood remain with the person till the last stop of life. The person’s life ends, but the rites do not end. Parents should make their children virtuous, so that the children of today can grow up and read the lesson of the sacraments to the next generation. This exclamation expressed by Muni Aastik Sagar Maharaj.

सिलवानी. बच्चों में बचपन से ही संस्कारों का बीजारोपण किया जाना चाहिए। बचपन में दिए गए संस्कार जीवन के अंतिम पड़ाव तक व्यक्ति के साथ रहते हैं। व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है, लेकिन संस्कार समाप्त नहीं होते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को संस्कारवान बनाएं, ताकि आज के बच्चे बड़े होकर आने वाली पीढ़ी को संस्कारों का पाठ पढ़ा सकें। यह उद्गार मुनि आस्तिक सागर महाराज ने व्यक्त किए। वह नगर के पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में रविवार को सुबह के समय उपस्थित श्रावकों को संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान समोशरण मंदिर में कलशारोहण करने के लिए बोलियां भी लगाई गईं। इसके अतिरिक्त भामंडल की बोलियों का कार्यक्रम भी संपन्न किया गया। इस अवसर पर मुुनि आस्तिक सागर महाराज ने बताया कि प्रत्येक श्रावक को प्रतिदिन जिनालय में आकर भगवान का दर्शन, पूजन, अभिषेक कराना चाहिए। मात्र दर्शन, पूजन, अभिषेक करना ही ध्येय नहीं होना चाहिए, बल्कि इससे क्या सीखने को मिल रहा है इस बात की भी जानकारी होना चाहिए। जानकारी के बगैर किया गया कार्य सार्थक नहीं कहलाता है।
इनसान को महापुरुषों के प्रवचन सुनने की आदत भी होना चाहिए। उन्होंने बताया कि पूर्व के सालों में जब इंसान के पास सुख सुविधाओं के साधन नहीं थे। तब वह एक कच्चे मकान में निवास कर खुश व प्रसन्नचित्त रहता था। वह समय पर नियमित कार्य करता था, लेकिन जैसे जैसे व्यक्ति की सुविधाएं बढ़ती गईं, वह लालसा के अधीन होता गया। उसकी आकांक्षाएं भी बढ़ती गर्इं। प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह उम्रदाराज ही क्यों ना हो।
वह भी दो के चार व चार के आठ करने के चक्रव्यूह में लगा हुआ है। कलशारोहण करने का सौभाग्य सिंघई चंद्र कुमार, चंचल कुमार जैन, गुलाब चंद्र, अभय कुमार भाईजी, विनय कुमार जैन, आदर्श कुमार जैन व देवेंद्र कुमार आशीष कुमार जैन को प्राप्त हुआ। सभी के द्वारा समोशरण मंदिर की वेदीजी पर कलशारोहण किया गया। इसके अतिरिक्त भामंडल की बोली प्राप्त करने का सौभाग्य राजकुमार, नीजेश कुमार जैन तथा राजेंद्र कुमार सुनील कुमार जैन बैधराज को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रावक मौजूद रहे।

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