इस दौरान समोशरण मंदिर में कलशारोहण करने के लिए बोलियां भी लगाई गईं। इसके अतिरिक्त भामंडल की बोलियों का कार्यक्रम भी संपन्न किया गया। इस अवसर पर मुुनि आस्तिक सागर महाराज ने बताया कि प्रत्येक श्रावक को प्रतिदिन जिनालय में आकर भगवान का दर्शन, पूजन, अभिषेक कराना चाहिए। मात्र दर्शन, पूजन, अभिषेक करना ही ध्येय नहीं होना चाहिए, बल्कि इससे क्या सीखने को मिल रहा है इस बात की भी जानकारी होना चाहिए। जानकारी के बगैर किया गया कार्य सार्थक नहीं कहलाता है।
इनसान को महापुरुषों के प्रवचन सुनने की आदत भी होना चाहिए। उन्होंने बताया कि पूर्व के सालों में जब इंसान के पास सुख सुविधाओं के साधन नहीं थे। तब वह एक कच्चे मकान में निवास कर खुश व प्रसन्नचित्त रहता था। वह समय पर नियमित कार्य करता था, लेकिन जैसे जैसे व्यक्ति की सुविधाएं बढ़ती गईं, वह लालसा के अधीन होता गया। उसकी आकांक्षाएं भी बढ़ती गर्इं। प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह उम्रदाराज ही क्यों ना हो।
वह भी दो के चार व चार के आठ करने के चक्रव्यूह में लगा हुआ है। कलशारोहण करने का सौभाग्य सिंघई चंद्र कुमार, चंचल कुमार जैन, गुलाब चंद्र, अभय कुमार भाईजी, विनय कुमार जैन, आदर्श कुमार जैन व देवेंद्र कुमार आशीष कुमार जैन को प्राप्त हुआ। सभी के द्वारा समोशरण मंदिर की वेदीजी पर कलशारोहण किया गया। इसके अतिरिक्त भामंडल की बोली प्राप्त करने का सौभाग्य राजकुमार, नीजेश कुमार जैन तथा राजेंद्र कुमार सुनील कुमार जैन बैधराज को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रावक मौजूद रहे।