नियमानुसार यदि भूमि का खेती के अलावा अन्य कोई उपयोग किया जाता है तो उसका डायवर्सन आवश्यक होता है। इस इलाके में कुछ मैरिज गार्डन ऐसे हैं, जिनका डायवर्सन नहीं हुआ है। इसी तरह प्रतिवर्ष २५ लाख रुपए से भी अधिक कमाई वाले इस कारोबार में कर चोरी तो सरेआम हो रही है। इस कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि वे वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों की सेवा करते रहते हैं। आयकर विभाग को भी इस बड़ी आय से कोई कर नहीं मिल रहा है।
ज्यादातर मैरिज गार्डन शादियों व अन्य कार्यक्रमों में चोरी की बिजली का उपयोग करते हैं। कुछ ने कामशर््िायल कनेक्शन के स्थान पर घरेलू अथवा कृषि कार्य के नाम पर कनेक्शन ले रखे हैं, लेकिन उपयोग व्यावसायिक ही हो रहा है। इस तरह लाखों रुपए की बिजली चोरी मैरिज गार्डन कर रहे हैं। बिजली कंपनी भी इस बात की जांच करना जरूरी नहीं समझती है।
– नियमानुसार मैरिज गार्डन के लिए सड़क से दूरी निर्धारित है। इसके विपरीत अधिकांश मैरिज गार्डन मु़ख्य मार्गों से सटे हुए हैं। बहुत से तो एनएच-१२ के किनारे हैं। इससे यातायात में बाधा उत्पन्न होती है।
– ज्यादातर मैरिज गार्डनों में पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इससे वाहन मुख्य मार्गों पर खड़े रहते हैं।
– इनके निमार्ण में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई है। इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
– संजय उपाध्याय, एसडीएम, बरेली
-नगर परिषद में मैरिज गार्डनों का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, न ही गार्डनों से कोई टैक्स यहां पर जमा होता है। हम शीघ्र ही गार्डनों को नोटिस भेजकर उन पर कार्रवाई करेंगे।
– श्याम सुन्दर श्रीवास्तव, सीएमओ नगर परिषद, बरेली