तमाम शिकवा-शिकायतों के बाद भी अस्पताल प्रबंधन इस तरफ गंभीरता पूर्वक ध्यान नहीं देता है। यूनिट के टॉयलेट में फैली गंदगी के कारण वातावरण खराब हो रहा है। कीचड़ भरे रास्ते के बीच से होकर किडनी पीडि़त मरीजों को डायलिसिस कराने अंदर आना पड़ता है। इसी तरह ब्लड बैंक जाने के लिए भी लोगों को गंदगी भरे रास्ते से होकर जाना पड़ता है। मरीज व उनके परिजन मुसीबत के समय इन अव्यवस्थाओं के बीच इलाज कराने आते हैं। यूनिट के अंदर भी आवाश्यक रख रखाव पर गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया जाता है।
किडनी संबंधी मरीज आते हैं डायलिसिस कराने
आरएमओ डॉ. यशपाल सिंह बाल्यान ने बताया कि हर महीने डायलिसिस के लिए किडनी से पीडि़त मरीजों को आना पड़ता है। इस इमरजेंसी यूनिट में किडनी संबंधी बीमारी के इंफेक्शन से पीडि़तों को यहां पर उपचार कराने आना मजबूरी बन जाता है। जिम्मेदारों की लापरवाही से मरीजों की सेहत खतरे में पड़ सकती है। डायलिसिस यूनिट में एक टैक्नीशियन शिवानी और एक स्टाफ नर्स ज्योति अतुलकर पदस्थ हंै। जबकि यहां एक वार्डब्वॉय और एक स्टाफ नर्स क ी कमी है।
कबाड़ में पनप रहे मच्छर डायलिसिस यूनिट के स्टोर रूम में मेडिकल वेस्ट व अन्य कबाड़ भी भरा होने से प्रतिदिन मच्छर मक्खियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। वहीं दीवार में सीलन व बदबू के कारण आसपास का माहौल खराब हो रहा है। सब कुछ जानते हुए भी चिकित्सकों द्वारा भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता। अस्पताल में दर्ज मरीजों में से अभी तक जिले के 30 मरीजों की डायलिसिस होती है। ११ मरीजोंं की डायलिसिस मौजूदा समय में हफ्ते में दो बार होती है। इनमें भोपाल, विदिशा जिले के १-१ किडनी मरीजों की भी यहां डायलिसिस होती है।
किडनी मरीजों के लिए डायलिसिस यूनिट की सुविधा इसके लिए यूनिट और स्टाफ की तैनाती के साथ ही यूनिट को लगातर साफ सफाई व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। मरीजों की स्वास्थ्य संबंधी किसी भी पहलू पर कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस यूनिट की नियमित सफाई कराने पर विशेष इंतजाम किया जाएगा।
डॉ.एमएल अहिरवार, डायसलिसिस यूनिट प्रभारी