परेशान कर रहे है अधिकारी….
ऋण प्रकरण उलझने की वजह से रोजगार स्थापित कर युवा उद्यमी बनने का सपना धूमिल होता नजर आ रहा है। इन तमाम लोन योजनाओं का फायदा भी शिक्षित बेरोजगार युवाओं को बिल्कुल नहीं मिल पा रहा है।
युवा जिला व्यापार एवं उद्योग केद्र में आवेदन करने के बाद प्ररकण बैंकों में स्वीकृति के लिए भिजवाने के बाद संबंधित बैंकों में चक्कर लगाने के लिए मजबूर हैं। लेकिन बैंकों के फील्ड अधिकारी उनके आवेदन में मीनमेख निकालकर तमाम कागजी खानापूर्ति के बाद भी परेशान कर रहे हैं।
जिला व्यापार एवं उद्योग विभाग के माध्यम से बेरोजगार युवा युवतियों को रोजगार दिलाने कई लोन योजनाएं तो चलाई जा रही हैं। जिससे की रोजगार की तलाश में भटकते युवा रोजगार के जरिए अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकें। इसके लिए जिला उद्योग विभाग को आधार बनाया गया है। ताकि इसे माध्यम से आवेदन करके ऋण प्रकरण बैंकों से स्वीकृति के बाद योजना का फायदा मिल सके ।
योजनाओं से कैसे हो सपना साकार….
वैसे शासन स्तर पर मुख्यमंत्री युवा उद्यमी ऋण योजना,मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना तथा मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना संचालित की जा रही हैं। ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा इसका फायदा ले सकें।
लेकिन दुर्भाग्य की बात तो यह है कि जहां एक ओर जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र से ही ऋण आवेदनों को पास कराना मुश्किल हो जाता है। यदि किसी तरह आवेदन यहां से मंजूर हो जाते हैं तो बैंकों में जाकर मैनेजरों व फील्ड अधिकारियों के पास अटक जाते हैं। कहीं सबसिडी तो कभी कम लोन की राशि युवाओं को मिल पाती है।
इससे उनका रोजगार स्थापित करने का सपना अधूरा ही रह जाता है। अगर हम बैंकों के वर्तमान आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पूरी स्थिति स्पष्ट नजर आती है। बताया गया है क जिला व्यापार एवं उद्योग विभाग के माध्यम से जो प्रकरण बैंकों में स्वीकृति के लिए भेजे जाते हैं।उनके प्राथमिकता के साथ निराकरण में बैंक अधिकारियों द्वारा जमकर हीला हवाली की जाती है।
इसका खामियाजा आवेदन करने वाले बेरोजगार युवाओं को भुगतना पड़ता है।हालाकि लीड बैंक अधिकार एनके सिन्हा से लेकर कलेक्टर एस प्रिया मिश्रा द्वारा बैंकर्स समिति की बैठक में संबंधित बैंक अधिकारियेां को फरमान जारी कर हिदायतें भी दी जाती हैं। लेकिन कुछ दिनों के बाद यह मामला भी ठंडा पड़ जाता है।
बैंकों में चल रही दलालों की सल्तनत ….
शहर की अमूमन सभी राष्ट्रीकृत बैंकों में दलालों की सल्तनत चल रही है। बैंकों के फील्ड अधिकारियों व दलालों की सेटिंग के इस खेल में वहीं लोन प्रकरण मंजूर हो पाता है जो कमीशनखोरी का तयशुदा मोटा हिस्सा दलाल के हाथों में पहुंच जाता है।
बैंक अधिकारियों व दलालों की मिलीभगत से ही बैंकों के अधिकांश लोन प्रकरण मंजूर हो पाते हैं।बैंकों में हावी दलाली प्रथा की वजह से युवाओं को लोन मंजूर कराना असान खेल नहीं होता ।
आठ से दस प्रतिशत कमीशन लेने के बाद ही बैंकों के फील्ड अधिकारी युवा-युवतियों के लोन प्रकरण मंजूर करते हैं। बाकी लोग सैकड़ों चक्कर बैंकों के लगाने के बाद थक हारकर घर बैठ जाते हैं।
योजना की प्रगति सिर्फ 24 फीसदी
जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र द्वारा मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना की प्रगति पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो यह महज 34 फीसदी ही हो सकी है।कुल 34 प्रतिशत इस योजना के युवाओं के अब तक लोन मंजूर हो सके हैं।
इस संबंध में बताया गया है कि सूक्ष्म एवं लघु एवं मध्यम,उद्यम जिला व्यापार एवंउद्योग विभाग द्वारा 40 युवाओं को इस योजना से फायदा दिलाने का लक्ष्य रखा गया था।इनमें से केवल 20 युवाओं के ही लोन प्रकरण बैंकों से मंजूर हो पाए हैं।
लेकिन कुछ बैंकों द्वारा मात्र 12 लोन प्रकरणों को ही मंजूरी मिल पायी है।इसी तरह अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को 4 प्रकरणों का लक्ष्य दिया गया था।इनमें से महज 2 प्रकरणही स्वीकृत हो पाए ।
किसी भी युवा को इसका विवरण नहीं किया गया ।इस तरह विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है।इस तरह मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत 46 प्रकरणों का लक्ष्य रखा गया था।