परेशान किसानों ने वन विभाग के अधिकारियों से वन्य जीवों से सुरक्षा के लिए आवेदन दिया मगर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जानकारी के अनुसार विदिशा जिले की सीमा क्षेत्र से लगे चोपड़ा, ताजपुर सूर, मेहगांव, हिम्मतगढ़, मिर्जापुर, पाली भादनेर, खरगावली, पिपलई, सूरई, पठारी, टपरा-पठारी, रामपुर टोला, बम्हौरी, खनपुरा, कटारिया, बारला, पग्रेश्वर, परवरिया, कौड़ी, गिरवर समेत मिनी पंजाब कहे जाने वाले क्षेत्र पैमद, मानपुर, बरनी जागीर आदि गांवों में लाल, पीले और काले हिरणों, जंगली सूअरों की दिन-रात धमाचौकड़ी की वजह से फसलों को नुकसान हो रहा है।
स्थिति ये हो चुकी है कि फसलों को बचाने के लिए किसानों को अपने परिवार को खेतों की मेड़ पर भी बैठाना पड़ रहा है। वहीं कुछ किसान इनको भगाने के लिए बम पटाखों का भी सहारा लिया जा रहा है। वैसे भी धान, सोयाबीन की कटाई के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी किसानों ने अपने खेतों में रबी फ सल की बोवनी कर ली है। इस समय सभी खेतों में हरियाली छाई हुई है। लेकिन हिरणों के झुंड ने आतंक है। इसलिए किसानों को देर रात तक खेतों पर रहना पड़ रहा है।
वन विभाग ने दो शिकारियों को पकड़ा, अवशेष भी मिले
मंडीदीप. वन मंडल औबेदुल्लागंज के अंतर्गत आने बिनेका रेंज की लुलका बीट के जंगल में मंगलवार को मिले बाघिन के पंजे काटने वाले आरोपी को वन विभाग ने शुक्रवार को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। आरोपी की निशानदेही पर बाघिन के पंजे ओर उपयोग में लाई गई कुल्हाड़ी भी वन अमले ने बरामद कर ली है। विभाग की टीम ने गांव से दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया हैं।
गौरतलब है कि वन क्षेत्र में बाघिन का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई थी।
जानकारी के अनुसार लुलका निवासी हरचंद ने सबसे पहले जंगल में मृत बाघ को देखा था। वह अपनी कुल्हाड़ी से मृत बाघ के पंचे काटकर घर ले आया, लेकिन डर के चलते उसने दोनों पंजे एवम कुल्हाड़ी को जंगल मे कहीं छिपा दी थी। वन अमले ने हरचंद को साथ लेकर गुरूवार सुबह चार बजे तक शिनाख्त की परंतु रास्ता भटकने से पंजों का पता नहीं लगा। दूसरे दिन सुबह नौ बजे बाघ के पंजे व कुल्हाड़ी हरचंद की निशानदेही पर जंगल से बरामद किए गए।