इस संचालित करने वाले कारोबारी तयशुदा किराया पर्यटन विभाग को चुकाएंगे। पर्यटन मोटलों को किराए में देने की स्कीम इसलिए पर्यटन के जिम्मेदारों ने निकाली, ताकि खंडहर हो रहे मोटल जीर्णोद्धार हो सके और दूसरे राज्यों से आने वाले सैलानियों को रूकने में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था ना हो।
प्रदेश की संस्कृति को दूसरे राज्यों के लोग जान सके और टूरिस्टों को रूकने में सहूलियत हो, इसलिए राज्य सरकार ने करोड़ों की लागत से प्रदेश में 18 मोटलों का निर्माण किया था। इन मोटलों का उद्घाटन धूमधाम से हुआ, लेकिन देखरेख और प्रचार के अभाव में ये मोटल एक के बाद एक बंद होते चले गए। अब एक समय ऐसा आ गया है कि इन मोटलों में केवल विभाग के चौकीदार अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।
कारोबार को मिलेगा बढ़ावा
विभागीय अधिकारियों की मानें तो मोटल किराए में उठने के बाद यदि टूरिस्टों को अच्छी सुविधा मिलेगी तो प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तो लोकल कारोबारियों को इसका लाभ मिलेगा और राजस्व भी बडी मात्रा में आएगा। विभाग शुल्क लेगा, जिससे लॉस से गुजरना नहीं पड़ेगा और तय समय पर सभी का भुगतान होगा।
किराए के लिए होगा टेंडर
जिस तरह से पर्यटन विभाग ने स्पोर्ट्स/एडवेंचर एक्टिविटी प्रदेश के जलाशयों में करवाने के लिए टेंडर निकालकर जलाशयों को किराए पर दिया है। उसी तरह से मोटल किराए में देने के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाएगा। अनुभवी होटल कारोबारियों को टेंडर प्रक्रिया का फायदा मिल सकता है।
पर्यटन विभाग जीएम संजय सिंह ने कहा, 18 मोटलों की लिस्ट किराए में देने के लिए तैयारी की गई थी, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के पास से अभी 13 मोटलों को ही किराए में देने की इजाजत मिली है। टेंडर प्रक्रिया के तहत इन मोटलों को किराए पर दिया जाएगा। टेंडर की शर्त मानने वाले कारोबारी टेंडर प्रक्रिया में शिरकत कर सकते है।