दूसरी तरफ शहर के तालाबों की स्थिति चिंताजनक है। भरे भादो महीने में तालाबों का पेट आधे से भी अधिक खाली है। एेसी व्यवस्थाओं के बीच निगम प्रशासन दावा करता है कि प्रतिमाओं का विसर्जन कुंड में कराया जाना है। कुंड तैयार न होने से लोग अधभरे तालाबों में ही प्रतिमाओं का विसर्जन करेंगे।
गणेशोत्सव का पर्व नजदीक है। शहर में जगह-जगह झांकियां और पूजा पंडाल तैयार करने में गणेशोत्सव समितियां पूरी तरह से जुटी हुई हैं। गणेश चतुर्थी तिथि पर १३ सितंबर को घरों से लेकर झांकियां और पूजा पंडालों में मंगलमूर्ति की छोटी-बड़ी प्रतिमाएं विराजेंगी। उत्सव के 11वें दिन अनंत चतुर्दशी तिथि पर शहर के मोहल्लों और कॉलोनियों से 10 हजार से अधिक प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। गणेशोत्सव के समापन के 15 दिन बाद दुर्गा पूजा उत्सव शुरू होगा। तालाबों व खारुन नदी के पास विसर्जन कुंड नहीं बनने से हजारों श्रद्धालुओं को आसपास के तालाबों में या फिर खारुन नदी के विसर्जन घाट में प्रतिमाएं विसर्जित करना पड़ता है।
महापौर प्रमोद दुबे ने बताया कि तालाब शहर की धरोहर हैं। उनके संरक्षण और प्रदूषित होने से बचाने की जिम्मेदारी नगर निगम के साथ ही आम लोगों की भी है। मूर्तियों के विसर्जन के समय व्यवस्था कराई जाएगी। खारुन नदी के किनारे कुंड का निर्माण लगभग पूरा हो गया है।