पूर्व आईएएस ने काली कमाई को सफेद करने के लिए सीए का सहारा लिया, वहीं सीए ने अपने भतीजे आलोक अग्रवाल व चाचा विनोद अग्रवाल के साथ खरोरा व आस-पास के ग्रामीणों के संपर्क कर पैन कार्ड जारी करवाया व आयकर विवरणी दाखिल की। सीए ने इस पैन कार्ड का उपयोग फर्जी खाता खोलने में किया। 446 लोगों का यह खाता यूनियन बैंक ऑफ इंडिया रामसागर पारा व पंडरी स्थित शाखा में खोला गया, जिसमें जाली हस्ताक्षर किया गया था।
ईडी की जांच में यह बात सामने आई कि बेनामी खातों में जमा की गई राशि को 13 शेल कंपनियों में शेयर एप्लीकेशन मनी के रूप में डाला गया, जिसे बाबूलाल के भाई व प्राइम इस्पात लिमिटेड के निदेशक अशोक अग्रवाल ने अपनी कंपनी में निवेश किया।
सीए सुनील अग्रवाल ने यह स्वीकार किया कि बेनामी खातों में जमा की गई राशि का 0.5 फीसदी राशि उसने कमीशन के रूप में प्राप्त किया। मामले में ईडी इससे पहले पूर्व आईएएस की 36.09 करोड़, प्राइम इस्पात लिमिटेड के प्लांट, मशीनरी व रायपुर स्थित आवासीय परिसर को जब्त किया है।
पूर्व आईएएस के सीए ने कालेधन को सफेद करने के लिए अपने रिश्तेदारों के नाम पर दस्तावेजों में 13 शेल कंपनियां खोली। जांच में यह बात सामने आई कि लगभग 39.67 करोड़ की अवैध राशि जो कि बाबूलाल अग्रवाल के पास थी। इसे सीए सुनील अग्रवाल द्वारा गलत ढंग से खोले गए 446 बेनामी खातों में जमा किया गया।