लाटरी पर टिकी हुई है सभी की निगाहें
वार्डों के परिसीमन और वार्डों के आरक्षण के लिए निकलने वाली लॉटरी पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। वर्तमान में जो वार्ड एसटी-एससी, ओबीसी, सामान्य और महिला के लिए आरक्षित हंै, उसमें बदलाव हो सकता है। ऐसे में कुछ पार्षदों को दूसरे वार्ड में जाकर चुनाव लडऩा पड़ सकता है। इसी तरह महापौर की सीट पर कई नेताओं की निगाह है। इस बार रायपुर में महिला सामान्य सीट होने की उम्मीद लगाई जा रही है। वार्डों में जो पार्षद चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे थे, वे अभी वे टिकट की जुगाड़ में लग गए हैं। भाजपा और कांग्रेस नेताओं से उनकी नजदीकियां बढ़ाने लगी है।
पार्षदों का तर्क- स्थानीय मुद्दे रहेंगे हावी
लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद कुछ पार्षदों से बात की गई। कांग्रेसी पार्षदों का तर्क है कि वार्ड चुनाव बिल्कुल अलग होते हैं। स्थानीय मुद्दों पर चुनाव होता है, इसलिए इसकी तुलना लोकसभा चुनाव से बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा हावी था इसलिए भाजपा की एकतरफा जीत हुई है। नगरीय निकाय चुनाव में ऐसा नहीं होगा।