नियमानुसार अमूमन शुल्क में बढ़ोतरी मार्च माह में की जाती है, जबकि तमाम कायदों को दरकिनार करते हुए निविदा की मध्यावधि में ही दिसम्बर माह की पहली तारीख से इसमें बढ़ोत्तरी कर दी गई है। जिससे इस मार्ग से गुजरने वाले वाले लाखों वाहन चालकों को दोगुना शुल्क भुगतान करना पड़ रहा है। वहीं, अचानक बनाई गई इस व्यवस्था से विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है।
आए दिन वाहन चालकों और टोल कर्मियों के बीच तनाव की शिकायतें देखने को मिल रही हैं। टोल शुल्क की वसूली का जिम्मा पीडब्ल्यूडी ने एक वर्ष के लिए निजी कंपनी को दिया है, जो कि मार्च 2019 तक निर्धारित है। निर्धारित राशि ठेकेदार से पूर्व में ही वसूली जा चुकी है। अचानक बढ़ोतरी निश्चित रूप से ठेकेदार को फायदा पहुंचाने की साजिश की ओर इशारा कर रही है।
नियम विरुद्ध हो रही वसूली
रायपुर-दुर्ग के बीच फोरलेन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाई गई है, साथ ही इसकी मरम्मत की जिम्मेदारी भी उसी की बनती है। वहीं, नियमानुसार बनाने वाली कंपनी द्वारा सडक़ निर्माण तक टोल शुल्क वसूली की छूट दी गई थी, जो कि अब पूरी हो चुकी है।
ऐसे में रायपुर से दुर्ग जाने के लिए 10 रुपए तक का टोल शुल्क लिया जा रहा है, जिसकी जरूरत ही नहीं है और सडक़ निर्माण अवधि पूरी होने के बाद भी पब्लिक से पैसे लेना अवैध है। इन हालातों में मेंटेनेंस के नाम पर पीडब्ल्यूडी द्वारा नियम विरुद्ध शुल्क लिया जा रहा है। इतना ही नहीं इसे बंद करने के बजाए इसके लिए बराबर ठेका भी जारी किया जाने लगा है।
अवैध वसूली की शिकायतें भी आम
नियमानुसार बंद करने के बजाए शुल्क लेने के साथ ही अवैध वसूली की भी शिकायतें आम हो गई हैं। इस मार्ग से रात 10 से सुबह 5 बजे तक गुजरने वाले वाहनों से ज्यादा राशि वसूलने की शिकायतें भी आए दिन मिलती रहती हैं। वहीं, शिकायतों पर कार्रवाई शून्य होने की स्थिति में लोग अफसरों और ठेकेदार की सांठगांठ की भी शिकायतें कर रहे हैं। ऐसे में नियमों के विरुद्ध की जा रही यह वसूली बिना किसी अफसरी संरक्षण के करना संभव नहीं दिखाई पड़ता।
निर्देशों के बाद लिया जा रहा शुल्क
पीडब्ल्यूडी एनएच डिविजन के अभियंता जयंत वर्मा ने बताया कि केंद्रीय राष्ट्रीय राज्य मार्ग मंत्रालय से मिले निर्देश के बाद हमने पूरी प्रक्रिया के तहत शुल्क में वृद्धि की है। इसके लिए एक अंग्रेजी और एक हिंदी अखबार में जनसंपर्क विभाग के माध्यम से विज्ञापन भी निकाला गया था।