जो सांसद मौजूद थे, उन्हें रेलवे के आला अफसरों ने कार्यों का ब्यौरा दिया तथा उनसे सुझाव भी लिया। जबकि अधिकांश सांसद न तो खुद आए और न ही अपने प्रतिनिधियों को भेजना उचित जरूरी मानते हैं। इस वजह से एक घंटे के अंदर ही मीटिंग समाप्त कर दी गई।
इस तरह की महत्वपूर्ण बैठकों में सासंदों की गैरमौजूदगी से रेल मंत्री पीयूष गोयल के सुझाव को भी पलीता लग रहा है। रेल मंत्री गोयल ने यह सुझाव दिया था कि रेलवे से जुड़े मुद्दों और समस्याओं का निराकरण कराने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में सांसद रेल अफसरों के बैठक कर निराकरण कराएं। लेकिन इस तरह की पहल को छत्तीसगढ़ के सांसदों ने दरकिनार कर दिया गया है।
सांसद कश्यप ने ट्रेन के समय पर उठाए सवाल : छत्तीसगढ़ राज्य से 11 सांसदों में मात्र चार सांसद ही बैठक में शामिल हुए। रायपुर सांसद रमेश बैस, बस्तर सांसद दिनेश कश्यप, राज्यसभा सांसद छाया वर्मा तथा सांसद लखन लाल साहू के प्रतिनिधि शांतनु साहू चर्चा करने पहुंचे।
इस दौरान बस्तर सांसद कश्यप ने रेल अफसरों के सामने जगदलपुर-दुर्ग ट्रेन और गरीब रथ के परिचालन समय का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बस्तर क्षेत्र रेल सेवा से वंचित हैं। बसों में 7 से 8 सौ रुपए देना पड़ता है। बस्तर से ट्रेन 12 बजे चलाई जा रही है, जिसे सुबह चलाया जाए, तब सुविधा मिलेगी। इसी तरह रायपुर से गरीब रथ दोपहर 12 बजे चलाई जा रही है, जिसे शाम को किया जाए। बस्तर क्षेत्र में नई रेल लाइनों के निर्माण के कार्य तेज किए जाएं।