पैरेंट्स बच्चे के मन को समझें, तभी वे उनके बिहेवियर में ला सकेंगे चेंज
patrikaकोविड के बाद से पैरेंट्स की यह शिकायत मिल रही हैं कि उनके बच्चे बंद कमरे में अकेले रहना पसंद करते हैं। परिवार के साथ समय व्यतीत करना उचित नहीं लगता। अक्सर मम्मियों की यह भी शिकायत होती है कि उनके बच्चे समय पर नहीं उठते या फिर बात नहीं मानते।
पैरेंट्स बच्चे के मन को समझें, तभी वे उनके बिहेवियर में ला सकेंगे चेंज
रायपुर. रोटरी क्लब ऑफ रायपुर क्वीन की ओर से न्यू नॉरमल इन पेरेंटिंग विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया गया। इसमें एक्सपर्ट डॉ. अजीत वरवंडकर ने क्लब की सभी महिला सदस्यों को कोविड व लॉकडाउन के नए समीकरणों की वजह से निर्मित पैरेंटिंग संबंधित चुनौतियों को किस तरह जीता जाए, इस विषय पर बहुत ही प्रैक्टिकल आइडियाज और टिप्स दिए। कोविड के बाद से पैरेंट्स की यह शिकायत मिल रही हैं कि उनके बच्चे बंद कमरे में अकेले रहना पसंद करते हैं। परिवार के साथ समय व्यतीत करना उचित नहीं लगता। अक्सर मम्मियों की यह भी शिकायत होती है कि उनके बच्चे समय पर नहीं उठते या फिर बात नहीं मानते। कुछ पैरेंट्स का अनुभव है कि बच्चे बदतमीजी करते हैं अथवा पलट कर जवाब देते हैं। ऐसे बच्चे अक्सर तनाव में रहते हैं या अत्यधिक एग्रेसिव भी हो जाते हैं।
3 कैटेगरी के पैरेंट्स: वरवंडकर ने कहा, वर्तमान परिस्थितियों में पैरेंट्स 3 तरह से कैटेगरी में आते हैं, रिजाइंड, हगर और प्रिसक्रिप्टिव। रिजाइंड वे होते हैं जिन्होंने सारी आशा छोड़ दी है। उनका मानना है कि जो हो रहा है, जैसे चल रहा है, चलने दो। ऊपरवाला देखेगा, अब हम कुछ नहीं कर सकते। यह पैरेंट्स हार मान चुके होते हैं। हगर याने जो हर अच्छी-बुरी अथवा सही- गलत बात में बच्चे का साथ देते हैं और उन्हें हग करते हैं। ये बड़े कमजोर किस्म के पैरेंट्स होते हैं जो किसी भी कीमत पर बच्चों कोखुश रखना चाहते हैं। तीसरे याने प्रिसक्रिप्टिव। वे पैरेंट्स होते हैं जो हर बात में किसी न किसी तरीके का प्रिसक्रिप्शन बच्चों को देते हैं, यानी की हिदायत देते रहते हैं। जैसे कि ऐसे करो, वह वैसे करो, इसे यहां रखो, उसे वहां रखो वगैरा-वगैरा। आज के युग में बच्चे लॉजिक ड्रिवन हो गए हैं, उन्हें इंस्ट्रक्शन से नहीं साधा का सकता।
तनाव दूर करने के तरीके बताए : महंत कॉलेज में कंप्यूटर विभाग ने तनाव प्रबंधन पर वेबिनार का आयोजन किया। जिसमें समाज के विभिन्न पहलुओं के विशेषज्ञ मोहम्मद रिजवान सचिव लोक आयोग, मोनिका बागरेचा समाजसेविका और सी. ए. कांतिलाल जैन ने मुख्य रूप से अपने विचार रखे।
प्राचार्य डॉ. देवाशीष मुखर्जी ने वर्तमान परिदृश्य में भौतिक सुख-सुविधाओं को अत्यधिक महत्व न देते हुए उपलब्ध संसाधनों व समन्वय से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निर्बाध गति से कार्य करने का मार्गदर्शन दिया। वहीं कार्यक्रम में मोहम्मद रिजवान द्वारा वर्तमान परिस्थिति के परिप्रेक्ष्य में कानूनी पहलुओं को सूक्ष्म रूप से समझाया गया। जबकि मोनिका बागरेचा ने योगा के साथ व्यायाम को साधन के रूप में तनाव मुक्त होने के गुण बताएं। कांतिलाल जैन ने इन विपरीत परिस्थितियों को अवसर के रूप में बदलने की बात कही। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रमुख रूप से प्रो. ललित वर्मा, अनुपमा जैन, प्रीतम दास, प्रेम चंद्राकर, विवेक साहू , मनोज साहू, रजत यदु व लोकेश साहू ने सहयोग दिया।
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