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बस्तर लोकसभा : पोलावरम बांध बनने से सुकमा के एक लाख लोग हो जाएंगे बेघर, फिर भी सांसद बैठे रहे चुप

locationरायपुरPublished: Mar 20, 2019 12:21:07 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप ने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर दमखम से संसद में बात नहीं रखी। उन्होंने पांच साल में सिर्फ आठ सवाल पूछे

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बस्तर लोकसभा : पोलावरम बांध बनने से सुकमा के एक लाख लोग हो जाएंगे बेघर, फिर भी सांसद बैठे रहे चुप

शेख तैय्यब ताहिर@जगदलपुर. बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप ने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर दमखम से संसद में बात नहीं रखी। उन्होंने पांच साल में सिर्फ आठ सवाल पूछे। उसमें भी सिर्फ चार का ही जवाब आया। उन्होंने जो सवाल भी पूछे, उनमें बस्तर के अहम मुद्दे गायब रहे। बस्तर की सबसे बड़ी समस्या पोलावरम, एनएमडीसी के निजीकरण पर सवाल ही नहीं किया। इसका नतीजा यह रहा कि गोदावरी नदी पर पोलावरम बांध बनना लगभग तय हो गया है। इससे बस्तर के दोरला और धुरवा जनजाति के करीब पचास हजार लोग बेघर हो जाएंगे। इससे सुकमा जिले के कोंटा के करीब एक लाख लोग प्रभावित होंगे।
कोंटा इलाके के करीब 40 हजार आदिवासी बेघर हो जाएंगे। इसका बस्तर में जमकर विरोध हुआ, लेकिन सांसद हमेशा चुप रहे। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से 18 पंचायतों के 13 किमी का इलाका डूबेगा। जिससे इलाके में रहने वाली दोरला ओर धुरवा जनजाति को नुकसान पहुंचेेगा। इस मुद्दे पर भी संसद में आवाज नहीं उठने से यहां के आदिवासी काफी नाराज हैं। इतना ही नहीं महाराष्ट्र से जोडऩे वाला तिमेड़ पुल पांच साल से अधिक समय से अधूरा है।

नगरनार प्लांट के विनिवेशीकरण का बस्तर के लोगों ने किया था जमकर विरोध
न गरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी प्लांट को जब केंद्र सरकार ने विनिवेशीकरण की सूची में डाला तो बस्तर में इसका जमकर विरोध हुआ। काफी दिन तक इस मसले पर शांत रहे बस्तर सांसद ने अपनी चुप्पी तोड़ी तो वे यहां के लोगों के साथ नजर आए और विनिवेशीकरण नहीं होने देने की बात कही। लेकिन सदन में उन्होंने इस मामले को न तो प्रमुखता से उठाया और न ही इस पर बहस की। नतीजतन विनिवेशीकरण का मामला चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ता चला गया और अब विनिवेशीकरण के कगार पर है।

सांसद दिनेश कश्यप ने कहा सडक़ों का जाल बिछाया, हवाई सेवा और रेल की सौगात दी
सांसद दिनेश कश्यप का कहना है कहा कि बस्तर में सडक़ों का जाल बिछाया गया है। माओवाद गढ़ में चुनौती के बाद भी हजारों किलोमीटर सडक़ का निर्माण हुआ। वहीं बस्तर में पहली बार हवाई सेवा शुरू हुई जिसका विस्तार भी होने जा रहा है। रायपुर व विशाखापटनम के बाद अब हैदराबाद और भुनेश्वर से बस्तर सीधे जुड़ेगा। वहीं पासपोर्ट ऑफिस बस्तर में खुलेगा। हर गांव में बिजली पहुंच चुकी है। उज्ज्वला के जरिए हर गांव में गैस कनेक्शन पहुंचा है। वहीं उन्होंने कहा कि अगर वे दूसरी बार सांसद बनकर आते हैं तो सौर ऊर्जा, फॉरेस्ट, कृषि सुधार और सिंचाई के क्षेत्र में विशेष तौर पर काम करेंगे।

कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज ने कहा जुमलेेबाजों की सरकार, सांसद के हर वादे अधूरे
लोकसभा में कांगे्रस प्रत्याशी दीपक बैज ने कहा है कि केंद्र में जुमलेबाजों की सरकार है। पीएम मोदी ने जनता से जितने भी वादे किए थे, सत्ता में आने के बाद उसे जुमला बता दिया था। ठीक उसी तरह बस्तर सांसद के वादे भी जुमले निकले। उन्होंने जितने भी विकास कार्यों की बात की थी, सभी अधूरे हैं। चाहे वह हवाई सेवा की बात हो या फिर महाराष्ट्र को जोडऩे वाली तिमेड़ पुल। संसद में भी बस्तर के मुद्दे नहीं उठे। बस्तरवासी सब समझ गए हैं, इसलिए अब इन्हें सबक सिखाने के लिए चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। बस्तर के लोग उन्हें सांसद बनने का मौका देते हैं तो उनकी बातों को सदन में उठाने से लेकर उनके हिसाब से इलाके का विकास होगा। पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए काम नहीं किया जाएगा।

संसद में सिर्फ आठ सवाल पूछा, 6 बहसों में हुए शामिल
संसद में बस्तर का प्रतिनिधित्व कितना कमजोर रहा इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने पांच साल में सिर्फ आठ सवाल लगाए। इसमें भी सिर्फ चार का ही जवाब आया। छह बहसों में वे शामिल हुए। बस्तर सांसद सवाल पूछने के मामले में प्रदेश में जहां तीसरे नंबर पर रहे वहीं बहस में उनका नंबर आखिरी रहा। यह आंकड़ा प्रदेश के सांसदों में सबसे खराब है।

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