जबकि भाजपा विधानसभा चुनाव में 15 साल के विकास की बात करने के बजाय राष्ट्रवाद, सर्जिकल स्ट्राइक और मोदी के चेहरे की कर रही है। छत्तीसगढ़ में चार महीने में ही दोनों चुनाव हो रहे हैं।छत्तीसगढ़ में मुद्दे क्यों बदलते हैं इसका जवाब तलाशना थोड़ा कठिन है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि दोनों चुनावों में हवा दूसरी होती है। विधानसभा में स्थानीय मुद्दे हावी होते हैं तो लोकसभा में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को चर्चा होती है।
विधानसभा के मुद्दे नवंबर दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान आदिवासी, किसान, सरकारी कर्मचारी, बेरोजगारी के मुद्दे असरदार थे।इन्हीं मुद्दों को उठाकर कांग्रेस सत्ता में आने में कामयाब रही।सरकार बनाने के बाद कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ किया,बिजली बिल आधा कर दिया यही नहीं धान का सर्मथन मूल्य भी बढ़ाया। हालांकि, आदिवासियों के मुद्दे पर खास कुछ नहीं किया जा सका। भाजपा विधानसभा चुनाव में विकास का मुद्दा उठा रही थी जो फेल साबित हुआ।