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जानिएं, क्यों बैठाया जाता है गणपति बप्पा को, किस रूप की पूजा से क्या लाभ

locationरायपुरPublished: Aug 27, 2017 11:50:00 am

Submitted by:

Lalit Singh

हम सभी हर साल गणपति बप्पा की स्थापना करते हैं। साधारण भाषा में गणपति को बैठाते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है ऐसा क्यों ?

Ganpati Bappa
रायपुर. हम सभी हर साल गणपति बप्पा की स्थापना करते हैं। साधारण भाषा में गणपति को बैठाते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है ऐसा क्यों ? किसी को मालूम है क्या? हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है। लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था। अत: उन्होंने श्रीगणेश की आराधना की और गणपति से महाभारत लिखने की प्रार्थना की।
गणपति ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारंभ हुआ और इस कारण गणेशजी को थकान तो होनी ही थी, लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था। उनके शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने शरीर पर मिट्टी का लेप लगाया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को उनकी पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर लंबोदर के शरीर में अकडऩ आ गई। इसी कारण उनका एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा। महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला। अनंत चतुर्दशी को लेखन संपन्न हुआ।
वेदव्यास ने देखा कि गणपति का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया। इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेशजी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए। तभी से गणपति बैठाने की प्रथा चल पड़ी। इन दस दिनों में इसलिए गणेशजी को उनके पसंद के विभिन्न भोजन अर्पित किए जाते हैं।।
जानें, भगवान गणेश के रूप-

1. पार्थिव श्रीगणेश पूजन : अलग अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए कई द्रव्यों से बने हुए गणपति की स्थापना की जाती है। मिट्टी के पार्थिव श्री गणेश बनाकर पूजन करने से सर्व कार्य सिद्धि होती है।
2. हेरम्ब: गुड़ के गणेशजी बनाकर पूजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
3. वाक्पति: भोजपत्र पर केसर से गणेश प्रतिमा बनाकर। पूजन करने से विद्या प्राप्ति होती है।
4. उच्चिष्ठ गणेश : लाख के श्रीगणेश बनाकर पूजन करने से स्त्री सुख और स्त्री को पतिसुख प्राप्त होता है। घर में ग्रह क्लेश निवारण होता है।
5. कलहप्रिय: नमक की डली या नमक के श्रीगणेश बनाकर पूजन करने से शत्रुओ में क्षोभ उतपन्न होता है। वह आपस ने ही झगडऩे लगते हैं।
6. गोबर गणेश: गोबर के श्रीगणेश बनाकर पूजन करने से पशुधन में वृद्धि होती है। पशुओं की बीमारिया नष्ट होती है। (गोबर केवल गौ माता का ही हो)
7. श्वेतार्क श्रीगणेश : सफेद आर्क, मदार की जड़ श्रीगणेश बनाकर पूजन करने से भूमि और भवन लाभ मिलता है।
8. शत्रुंजय कडूए : नीम की लकड़ी से गणेश बनाकर पूजन करने से शत्रुनाश होता है। युद्ध में विजय होती है।
9. हरिद्रा गणेश: हल्दी की जड़ से या आटे में हल्दी मिलाकर गणेश प्रतिमा बनाकर पूजन करने से विवाह में आने वाली हर बाधा नष्ट होती है।
10. संतान गणेश: मक्खन के गणेश बनाकर पूजन करने से संतान प्राप्ति के योग निर्मित होती है।
11. धान्य गणेश: सप्तधान्य को पीसकर उनके श्रीगणेश बनाकर आराधना करने से धन की वृद्धि होती है। अन्नपूर्णा मां प्रसन्न होती है।
12. महागणेश: लाल चंदन की लकड़ी से दशभूजा वाले गणेश की प्रतिमा निर्माण कर पूजन करने से राज राजेश्वरी श्री आद्याकालिका की शरणागति प्राप्त होती है।

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