सेवानिवृत्त हो जाने के बाद भी बाबू अपने हक के लिए मंत्रालय के चप्पल घिस रहा, जबकि अन्य आरोपी अधिकारी चैन की नींद सो रहे हैं। बाबू का कहना है कि इस मामले उसके सहित उच्च अधिकारी भी दोषी पाए गए थे तो फिर सजा सिर्फ उसे ही क्यों दी जा रही है।
आदिम जाति अनुसूचित जाति विकास विभाग (Primitive caste development department) में सन 2012 में स्टेनोग्राफर(Stenographer), सहायक ग्रेड-3(Assistant Grade-3), स्टेनो टायपिट्स(Steno Typits) और सहायक प्रोग्रामर (Assistant programmer) के 35 पदों को में भर्ती के लिए विज्ञापन (advertisement) जारी किया गया था। इस भर्ती प्रक्रिया रिश्वत लेकर अपात्रों को भर्ती करने का आरोप लगा था। इसके बाद भर्ती प्रक्रिया की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई।
जांच में समिति ने पाया कि सहायक प्रोग्रामर के दो पदों पर गलत तरीके से भर्ती की गई है। गलत भर्ती करने के लिए जांच समिति ने एमएस परस्ते, सेवानिवृत्त आयुक्त, आरएस सिंह, उपायुक्त (वर्तमान में सेवानिवृत्त), शारदा वर्मा तत्कालीन अपर संचालक और केके तिवारी सहायक ग्रेड वन को दोषी बताया था।
आरोपी अधिकारी अभी भी खा रहे मलाई
इतने बड़े मामले भ्रष्टाचार करने के आरोपी अधिकारियों की बात करें तो वह अभी उच्च पदों पर आसीन होकर मलाई खा रहे हैं और उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। मामले में आरोपी तत्कीलीन अपर संचालक टीएडीपी शारदा वर्मा आईएएस अवार्ड होने के बाद संचालक बजट के पद पर कार्य कर रही हैं।
इसके साथ ही स्थापना शाखा में उपायुक्त रहे आरएस सिंह सेवानिवृत्ति के बाद संविदा नियुक्ति में संचालक लोक शिक्षण के पद पर कार्य कर रहे हैं। वहीं तत्कालीन आयुक्त एमएस परस्ते और अपर संचालक प्रशासन एलके गुप्ता सेवानिवत्त हो चुके हैं। मामले के आरोपी बाबू को कार्यालय प्रशासन ने दंडित कर पूरे मामले की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी है।
वित्तीय प्रबंध एवं सूचना प्रणाली के संचालक शारदा वर्मा का कहना है – जांच प्रतिवेदन में तथ्यों का गलत उपयोग गया था। में उस जांच से सहमत ही नहीं हूं। जब मुझे मेरा पक्ष रखने के लिए कहा गया तो मैंने अपना कथन दे दिया है।
छत्तीसगढ़ आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के आयुक्त डीडी सिंह के कहना है – इस मामले की अभी मुझे कोई जानकारी नहीं है। फाइल देखे बिना मैं कुछ भी नहीं बता सकता है।
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