खाद्य विभाग सचिव ऋचा शर्मा ने पत्रकारवार्ता में कहा, प्लास्टिक का चावल सिर्फ अफवाह है। इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। प्रदेश में भी जून के बाद प्लास्टिक के चावलों की खबर आ रही है, जिसके बाद विभाग ने 20 जिलों से 96 नमूने जांच के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन की प्रयोगशाला में भेजा था। इसमें से 82 की रिपोर्ट मिली है। इसमें प्लास्टिक नहीं पाया गया है, जबकि 14 नमूनों की रिपोर्ट आनी बाकी है।
खाद्य सचिव शर्मा ने बताया कि पीडीएस के चावल की जांच कई दौर से होकर गुजरती है। चावल राइस मिलर से प्राप्त करने से पहले उसकी जांच की जाती है। भारत सरकार के निर्धारित मापदण्डों पर खरा उतरने के बाद ही चावल लिया जाता है। नागरिक आपूर्ति निगम ने 84 हजार 705 चावलों के लॉट में से 1653 लॉट मानकों पर खरा नहीं उतरने पर राइस मिलरों को वापस किया है।
खाद्य विभाग ने कलक्टरों को पत्र लिखकर अपनी तरफ से भी चावलों की जांच कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि किसी भी प्रकार का संदेह नहीं रहे। इसके अलावा विभाग अब हर साल अक्टूबर और अप्रैल में चावल के नमूने लेकर उसे जांच के लिए भेजेगा।
बॉल बनने की वजह एमआईलोज नामक स्टार्च
भारतीय खाद्य निगम के महाप्रबंधक डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि चावल में एमआईलोज नामक स्टार्च (मांड़) होता है। यदि चावल में एमआईलोज की मात्रा 10 से 15 प्रतिशत होगी, तो चावल की गेंद में उछाल कम होगा। यदि 25 फीसदी से अधिक की मात्रा होगी, तो गेंद की तरह ज्यादा उछलेगा। इसे लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भी प्रयोग किया। जिसमें यह बात सामने आई कि स्टार्च की मात्रा अधिक होने पर उछाल ज्यादा होता।
भारतीय खाद्य निगम के महाप्रबंधक डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि चावल में एमआईलोज नामक स्टार्च (मांड़) होता है। यदि चावल में एमआईलोज की मात्रा 10 से 15 प्रतिशत होगी, तो चावल की गेंद में उछाल कम होगा। यदि 25 फीसदी से अधिक की मात्रा होगी, तो गेंद की तरह ज्यादा उछलेगा। इसे लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भी प्रयोग किया। जिसमें यह बात सामने आई कि स्टार्च की मात्रा अधिक होने पर उछाल ज्यादा होता।
इसको सरल भाषा मे समझें तो हमने घरों में भी ये अनुभव किया होगा कि जो नया चावल होता है पकने के बाद उसके दाने ज्यादा चिपके होते हैं और पुराना चावल बनाने पर उसके दाने अलग-अलग हो जाते हैं। नए चावल या ज्यादा स्टार्च वाले चावल का गोला बना देने पर उसके दाने चिपके रहते हैं गेंद की तरह उछलता है।
प्लास्टिक ज्यादा महंगा
अधिकारियों ने यह तर्क भी रखा कि चावल की तुलना में प्लास्टिक ज्यादा महंगा है। प्लास्टिक का वजन भी हल्का होता है। एेसे में चावल में प्लास्टिक मिलने की संभावना नहीं रहती है।
अधिकारियों ने यह तर्क भी रखा कि चावल की तुलना में प्लास्टिक ज्यादा महंगा है। प्लास्टिक का वजन भी हल्का होता है। एेसे में चावल में प्लास्टिक मिलने की संभावना नहीं रहती है।
इन जिलों में फैली अफवाह
जांजगीर-चांपा, कोरबा, दुर्ग, महासमुंद, जशपुर, कांकेर
जांजगीर-चांपा, कोरबा, दुर्ग, महासमुंद, जशपुर, कांकेर