राज्य निर्माण के पहले बस्तर, गरियाबंद और सरगुजा के जंगलों में 150 से ज्यादा वनभैंसों के झुंड विचरण करते थे। लेकिन, बहुतायत संख्या में शिकार के चलते लगातार उनका कुनबा सिमटते गया। 2005 में 72 वनभैंस सीतानदी उदंती में होने का दावा वन विभाग ने किया गया था। लेकिन, डब्लूटीआई की टीम की गणना पर पता चला कि वहां मात्र 7 वनभैंस ही रह गए हैं। वहीं सरगुजा और बस्तर क्षेत्र में उनका निशान तक मिट चुका है। हालात को देखते हुए वन विभाग द्वारा गिनती के बचे हुए वनभैंसों को बचाने के लिए बाड़े में रखा गया।
इस समय बाड़े में 6 और जंगल में शुद्ध नस्ल का एक वनभैंस विचरण कर रहा है। बताया जाता है कि बाड़े में बंधक बनाकर रखे गए अनुसूची एक के वन्य प्राणी को लगातार रखने से यह सभी पालतू पशुओं की तरह व्यवहार करने लगे थे। व्यस्क हो चुके वनभैंसों को छोडऩे के लिए वन विभाग के चिकित्सकों और विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद उन्हें छोडा़ जा रहा है।
बाड़े में रखे गए 13 वनभैंसों को जल्दी ही जंगल में छोड़ा जाएगा। वन विभाग मुख्यालय को इसका प्रस्ताव भेजा गया है। राज्य वन्य जीव बोर्ड के अनुमति मिलते ही बारिश के समय छोडऩे की योजना बनाई गई है।
– वरूण जैन, उपनिदेशक सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व, गरियाबंद