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अधिक गन्ना उत्पादन किसानों के लिए बना मुसीबत, अब खुद ही लगा रहे फसलों में आग

locationरायपुरPublished: Apr 30, 2019 09:24:00 am

Submitted by:

Akanksha Agrawal

शक्कर कारखाने से पर्ची नहीं मिलने के कारण हजारों एकड़ में गन्ने की फसल सूख रही है। इस वजह से किसान खुद ही गन्ने को आग के हवाले कर रहे हैं।

Sugar cane

अधिक गन्ना उत्पादन किसानों के लिए बना मुसीबत, अब खुद ही लगा रहे फसलों में आग

कवर्धा. जिले में अधिक गन्ना उत्पादन अब किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। शक्कर कारखाने से पर्ची नहीं मिलने के कारण हजारों एकड़ में गन्ने की फसल सूख रही है। इस वजह से किसान खुद ही गन्ने को आग के हवाले कर रहे हैं।
कबीरधाम जिले में दो सहकारी शक्कर कारखाना होने के बाद भी किसानों की समस्या दूर नहीं हो रही है। गन्ना बिक्री के लिए कारखानों से क्रमवार पर्ची जारी की जाती है, लेकिन अधिक रकबा में गन्ना होने के कारण बिक्री करने में परेशानी हो रही है।
अब किसान खुद के गन्ना खेतों को आग के हवाले कर रहे हैं। इसके पीछे वजह यह है कि आग लगने के बाद जले हुए फसल का आकलन कर 10 से 20 प्रतिशत वजन कम करके कारखाना जल्द ही इसकी खरीदी कर लेता है। गन्ना सूख जाएगा उससे अच्छा है कि कम ही पैसे में बिक्री हो जाए। जिले में अब तक 90 से अधिक गन्ना खेतों में आगजनी की घटना हो चुकी है।

800 ट्रॉली जले हुए गन्ने की खरीदी
भोरमदेव कारखाना में 4.50 लाख मीट्रिक टन गन्ना की खरीदी व पेराई होगी। अब तक 3 लाख 59 हजार मीट्रिक टन की खरीदी हो चुकी है। यहां अब तक 800 ट्रॉली जले हुए गन्ने की भी बिक्री हो चुकी है। वहीं सरदार वल्लभ भाई पटेल शक्कर कारखाने में अब तक 3 लाख 13 हजार मीट्रिक टन गन्ने की खरीदी हुई है। यहां पर भी बड़ी संख्या में जले हुए गन्ने की बिक्री हुई है। तहसीलदार पंचनामा बनाते हैं और किसान कारखाना में आवेदन करते हैं, जिसके बाद जले हुए गन्ने की खरीदी होती है।

21000 हेक्टेयर में है फसल
कृषि विभाग के अनुसार जिले के 21 हजार हेक्टेयर में गन्ने का रकबा है। इससे 21 लाख मीट्रिक टन गन्ना उत्पादन का अनुमान है। जिले के दोनों शक्कर कारखाना में 8.50 लाख मीट्रिक टन ही गन्ना खरीदा जाना है। करीब 8 लाख मीट्रिक टन गन्ना गुड़ फैक्ट्री में बेचा जा चुका है। इसके बावजूद खेतों में लगभग 5 लाख मीट्रिक गन्ना मौजूद है।

भोरमदेव शक्कर कारखाना के महाप्रबंधक एनके जायसवाल ने बताया कि किसानों को पर्ची क्रमवार दिया जा रहा है। अधिक गन्ना लगाए हैं, इस कारण फसल खेतों में हैं। पता चला है कई किसान स्वयं खड़े गन्ना में आग लगा देते हैं। कारखाने में जले हुए गन्नों के नुकसान का आकलन कर जल्दी खरीदा जाता है।
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