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यूनिवर्सिटी कैंपस में बैठकर छात्र 24 घंटे कर सकेंगे पढ़ाई, लाखों की लागत से बनेगा इ-रीडिंग जोन

locationरायपुरPublished: Nov 02, 2018 03:10:11 pm

स्मार्ट सिटी लिमिटेड से आग्रह किया गया था, जिस पर सीइओ रजत बंसल ने भी सहमति जताई थी

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यूनिवर्सिटी कैंपस में बैठकर छात्र 24 घंटे कर सकेंगे पढ़ाई, लाखों की लागत से बनेगा इ-रीडिंग जोन

रायपुर. नालंदा परिसर की तर्ज पर प्रदेश के सबसे पुराने विवि पं रविशंकर शुक्ल में इ-रीडिंग जोन बनाने की योजना चल रही है। जल्द ही विवि परिसर के 5 जगहों को रीडिंग जोन के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें छात्र 24 घंटे खुले वातावरण में पढ़ाई कर पाएंगे। कुलपति प्रो. केशरी लाल वर्मा ने बताया कि इसके लिए स्मार्ट सिटी लिमिटेड से आग्रह किया गया था, जिस पर सीइओ रजत बंसल ने भी सहमति जताई थी। वहीं, जानकार इस सुविधा में कई तरह की खामियां गिना रहे हैं।
उनका कहना है, कि लाइब्रेरी में कर्मियों की कमी के साथ परिसर की सुरक्षा व्यवस्था भी अधूरी है। परिसर में प्रवेश करने के 3-4 रास्ते 24 घंटे इसके संचालन पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। वहीं, विवि के अधिकारियों की दलील है, कि पूरा परिसर पहले से ही वातानुकूलित और वाइ-फाइ से लैस है, ऐसे में अलग-अलग जगहों पर नालंदा की तर्ज पर छात्रों के बैठने की व्यवस्था कराई जाएगी। वहीं, विवि से महज कुछ ही मीटरों की दूरी पर करोड़ों की लागत से बने नालंदा रीडिंग जोन के बाद परिसर में इसके पीछे लाखों रुपए खर्च करना अनुचित है।
लाइब्रेरी की फीस 50 रुपए मात्र
कलक्टर की पहल पर करोड़ों की लागत से बने नालंदा संपूर्ण वाइ-फाइ परिसर में छात्रों से 500 रुपए मासिक शुल्क लिया जाता है, जो कि गरीब तबके के लोगों के लिए कहीं ज्यादा है। हालांकि शुल्क ज्यादा होने के बाद भी परिसर में आने वाले छात्रों की संख्या अच्छी है। वहां दिन और रात दोनों ही समय में छात्र इसका लाभ उठाते हुए नजर आते हैं। वहीं, रविवि की लाइब्रेरी में मासिक शुल्क महज 50 रुपए है, साथ ही इसकी टाइमिंग रात 8 बजे तक है। ऐसे में ऑक्सीरीडिंग जोन के मुकाबले छात्रों को लाइब्रेरी ही ज्यादा सुविधाजनक दिखाई देती है।
प्रस्ताव पर अंतिम मुहर सीइओ की
कुलपति के अनुसार सत्र के बीच में इस पर चर्चा चलाई गई थी, साथ ही परिसर का नक्शा भी स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को भेजा गया था। इसके बाद से अब तक कोई पत्राचार या संपर्क नहीं हो पाया है। हालांकि उन्होंने बताया कि पूरा खर्च सहित निर्माण प्रक्रिया उन्हीं की ओर से कराई जानी है। ऐसे में आचार संहित में पेंच फंसने से इंकार नहीं किया जा सकता।
परिसर में पांच जगहों पर छात्रों को नालंदा परिसर की तर्ज पर 24 घंटे छात्रों की पढ़ाई के सुविधाजनक बनाने के लिए स्मार्ट सिटी को यह प्रस्ताव भेजा गया था। जिसका निर्माण सहित अन्य कार्य स्मार्ट सिटी लिमिटेड के माध्यम से ही होना है।
प्रो. केशरी लाल वर्मा, कुलपति, रविवि
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