प्रथम चरण की मतगणना से पता चलता है कि उन 12 सीटों पर जो कांग्रेस की पास थी उनमें से महज दो पर मतदान बढ़ा है । लेकिन 10 सीटों पर मतदान घटा है। वहीं, जब उन सीटों पर मतदान को देखते हैं जो भाजपा के कब्जे में थी तो पता चलता है कि तीन सीटों पर मतदान घटा हैं, वहीं तीन ही सीटों पर बढ़ा है।
गौरतलब है कि ज्यादा मतदान को एंटी इनकम्बेंसिंग से जोड़कर देखा जाता है। फ्लिहाल यह कहना मुश्किल है कि यह एंटी इन्कम्बेन्सिंग सरकार के खिलाफ थी या विधायकों के खिलाफ। लेकिन यह तय है कि अगर एंटी इन्कम्बेन्सिंग के प्रचलित मानदंडों के आधार पर देखे तो केवल पांच सीटों पर ही इसका असर रहा है।
राजनांदगांव में घटे सर्वाधिक वोट
अगर मतों के आंकड़ों को देखे तो पता चलता है कि प्रथम चरण के मतदान में सबसे ज्यादा मत राजनांदगांव में घटे हैं। 2013 में इस विधानसभा में 82.43 फीसदी मतदान हुआ जो कि अब घटकर 78.66 फीसदी हो गया है। यानी कि लगभग 3.77 फीसदी मतदान घटा है। इसके अलावा अंतागढ़ में 2.89, भानुप्रतापपुर में 2.48, केशकाल में 2.15 और दंतेवाड़ा में 1.94 फीसदी मतदान घटा है। सर्वाधिक मतदान जिन शीर्ष पांच विधानसभा सीटों पर घटा है, उनमें से दो भाजपा और तीन कांग्रेस के पास हैं।
कवासी लखमा के सीट कोंटा में सर्वाधिक मतदान, पिछली बार से 6.94 प्रतिशत ज्यादा
अगर आंकड़ों को देखे तो पता चलता है कि प्रथम चरण के मतदान में सबसे ज्यादा पाजिटिव मत परिवर्तन यानी 2013 की तुलना में वोट फीसद में वृद्धि कोंटा विधानसभा सीट में हुई है, जहां से कांग्रेस से उप नेता प्रतिपक्ष कवासी लखमा उम्मीदवार रहे हैं। 2013 में कोंटा में 48.36 फीसदी मतदान हुआ था, वहीं 2018 में 55.3 फीसदी मतदान हुआ, जो कि 6.94 फीसदी ज्यादा है।
इसके अलावा जगदलपुर, नारायणपुर, बीजापुर और चित्रकोट में भी मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई है। महत्वपूर्ण है कि जिन सीटों में मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई है उनमं से तीन सीटें बीजेपी और दो कांग्रेस के पास हंै। उससे भी दिलचस्प यह है कि इनमें से दो सीटों पर भाजपा के मंत्री उम्मीदवार हैं। नारायणपुर से भाजपा के स्कूली शिक्षा मंत्री केदार कश्यप तो बीजापुर से महेश गागड़ा चुनाव लड़ रहे हैं ।